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धोखेबाज कोचिंग संचालक; अभिभावकों की गाढ़ी कमाई जमा कराने के बाद कई प्रतिष्ठित कोचिंग सेंटर हुए बंद - FRAUDULENT COACHING OPERATORS

सरकार के इरादे पर भारी पड़ रहे धंधेबाज कोचिंग संचालक. देश के कई प्रतिष्ठित कोचिंग सेंटर्स लाखों अभिभावकों को दे चुके हैं धोखा.

कोचिंग संचालक द्वारा ठगी के शिकार अभिभावक.
कोचिंग संचालक द्वारा ठगी के शिकार अभिभावक. (Photo Credit ; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 8:23 PM IST

लखनऊ :जनवरी 2025 के शुरू होने के साथ ही देश के हजारों अभिभावकों को नए साल की उम्मीद पर तगड़ा झटका लगा है. एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति के माध्यम से हर आदमी को उसकी योग्यता और स्किल के अनुसार शिक्षित करने का भरोसा दे रही है. वहीं दूसरी तरफ बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना दिखाकर अभिभावकों की गाढ़ी कमाई ठग कर देश के कुछ प्रतिष्ठित कोचिंग संचालकों ने रातों रात संस्थानों पर ताला लगा दिया.

धोखेबाज कोचिंग संचालकों पर ईटीवी भरात की खास रिपोर्ट. (Video Credit ; ETV Bharat)

जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाली देश की प्रतिष्ठित कोचिंग में से एक फिटजी (FIITJEE) ने देश की राजधानी दिल्ली सहित लखनऊ, पटना, भोपाल, मुंबई मेरठ जैसे बड़े शहरों में संचालित अपने कोचिंग संस्थान रातों-रात बंद कर दिए है. फिटजी के तीन सेंटर्स लखनऊ में थे. ऐसे में इस कोचिंग में पढ़ रहे हजारों अभिभावकों और उनके बच्चे करोड़ों रुपये फीस देने के बाद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.


रेजोनेंस, एलेन, बायजूस, फिटजी सहित कई बड़े कोचिंग संस्थानों ने दिखा धोखा

बीते कुछ वर्षों में इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी करने वाले देश के कई प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों ने पूरे देश में फैले अपने कोचिंग सेंटर्स रातों-रात बंद कर दिए. इनमें रेजोनेंस, एलेन, बायजूस, फिटजी सहित कई बड़े नाम शामिल हैं. जिनकी कोचिंग शाखाएं रातों-रात बंद कर दी गईं. इससे संस्थानों से जुड़कर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयार कर रहे सैकड़ों बच्चों का भविष्य बीच मझधार में अटक गया है.



बाजार के साथ यह एक महामारी भी बन चुका है


लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना शुक्ला ने बताया कि आज देश में कोचिंग व्यवसाय न केवल बड़े बाजार के तौर पर उभरा है, बल्कि यह एक महामारी के तौर पर भी हमारे घरों में घुस चुकी है. आज हर घर में पढ़ने वाले बच्चों के ऊपर पढ़ाई के साथ-साथ बेहतर कॅरियर बनाने का दबाव है. परिवार भी बच्चों पर दबाव डालता है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कोटा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार से लेकर देश के तमाम राज्यों में अभिभावकों के इसी सोच का फायदा धंधेबाज कोचिंग संचालक उठाते हैं.

प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि जब बच्चा इंजीनियरिंग और मेडिकल की ठीक से समझ भी नहीं डेवलप कर पता है तब वह अपने अनुभव के दबाव में नवीं कक्षा से ही इन संस्थानों में प्रवेश के लिए ट्यूशंस या कोचिंग सेंटर्स में पहुंच जाता है. आज मार्केट में रोज नए कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं. अभिभावकों और बच्चों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की ब्रांडिंग एक्टिविटीज के साथ कम फीस की लालच देते हैं. बच्चों के अच्छे भविष्य के नाम पर अभिभावक कोचिंग संचालक के जाल में फंस जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई लगा देते हैं.



मौजूदा समय 10 करोड़ से अधिक छात्र कोचिंग में पढ़ते हैं


नेशनल सैंपल सर्वे द्वारा वर्ष 2016 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में 7.01 करोड़ छात्र देश के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे थे. 2024 में यह आंकड़ा 10 करोड़ से ऊपर निकल चुका है. भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 5 से 16 आयु वर्ग के करीब 40 फीसदी से अधिक बच्चे स्कूली शिक्षा के साथ-साथ प्राइवेट ट्यूशन भी अपनाए हुए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमके अग्रवाल का कहना है कि भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार कोचिंग संस्थानों से सरकार को करीब 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. भारत में हुए एक रिसर्च में कोचिंग उद्योग 60 हजार करोड़ का है. वर्ष 2028 में 1 लाख 35 हजार करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. वर्तमान में एजुकेशन सिस्टम में बढ़ती भीड़ ने कोचिंग संस्थानों के बीच में कड़ा मुकाबला खड़ा कर दिया है, लेकिन बुनियादी ढांचे पर किसी कोई नजर नहीं है.




तीन भागों में बंटा हुआ है यह पूरा साम्राज्य


कॅरियर एक्सपोर्ट और शिक्षाविद प्रोफेसर विशाल सक्सेना ने बताया कि प्राइवेट ट्यूशन बाजार अमूमन तीन हिस्सों में बटा हुआ है. ग्रुप ट्यूशन, प्राइवेट ट्यूशन और कोचिंग सेंटर्स. मध्यम वर्ग और कामकाजी परिवार के लोग अपने बच्चों को ग्रुप ट्यूशंस में भेजते हैं. जहां पर महीने की औसतन फीस 2000 से ₹3000 होती है. उच्च मध्यम वर्ग के लोग अपने बच्चों के लिए प्राइवेट ट्विटर रखते हैं जो 4000 से ₹8000 प्रति महीना लेते हैं. उच्च मध्यम वर्ग का एक बड़ा हिस्सा कोचिंग सेंटर्स का विकल्प चुनता है. इसलिए ऐसे परिवार बाईजूस, एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूट, रेजोनेंस, फिटजी आकाश जैसे बड़े दिग्गज ब्रांडों में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं. ये कोचिंग संस्थानों मोटी फीस लेकर बच्चों को अपने यहां पर एडमिशन देते हैं.


संसद तक में कोचिंग के खतरे को लेकर उठ चुकी है आवाज


शिक्षक नेता प्रोफेसर मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि देश में कई सरकारों में कोचिंग सेंटर के बढ़ते प्रभाव और बाजारीकरण को लेकर आवाज उठ चुकी है. उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सांसद महेंद्र मोहन ने 2007 में एक प्राइवेट मेंबर बिल कोचिंग सेंटर के लिए लाए थे. वर्ष 2012 में तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री पुरंदेश्वरी ने देश की संसद में कहा था कि कोचिंग सेंटर्स के बढ़ते खतरों को रोकने के लिए सरकार एक कानून लेकर आएगी. वर्ष 2015 में कोटा के ट्यूशन हब में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बाद राजस्थान सरकार ने कोचिंग केंद्रों को विनियमित करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह कानूनी मसौदा ही बनकर रह गया. बिहार पूरे देश का इकलौता ऐसा राज्य है जिसने कोचिंग संस्थानों के लिए बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण एवं विनियम अधिनियम 2010 का गठन किया है. जहां सभी कोचिंग संचालकों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है. 2010 में जहां पूरे देश में कुल 1700 कोचिंग संस्थान ही पंजीकृत थे जो वर्ष 2022 में बढ़कर 4200 से ऊपर हो गए हैं.

कानून का नहीं हो रहा पालन

देश में कोचिंग संस्थानों के सही से संचालन करने के लिए जनवरी 2024 में भारत सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए थे. इसके तहत कक्षा 12 के बाद जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम नीट कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट जैसी प्रवेश परीक्षा और यूपीएससी, एसएससी और बैंक आदि जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी कोचिंग सेंटर्स को इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना है. इसके तहत किसी भी व्यक्ति को कोचिंग सेंटर खोलने के लिए सबसे पहले मानकों के अनुसार पंजीकरण करना होगा. केंद्र सरकार के नए दिशा निर्देशों के अनुसार 3 महीने के अंदर पंजीकरण करना होगा. 16 साल से कम उम्र के किसी भी छात्र को प्रवेश नहीं देना है. इंजीनियरिंग की कोचिंग करने वाले ज्यादातर संस्थानों में कक्षा 9 से ही छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. ऐसे छात्रों की आयु 13 से 14 साल ही होती है. इसके अलावा बीच में कोचिंग छोड़ने पर कोचिंग वालों को बचा हुआ पैसा वापस करना होता है.



कोचिंग सेंटर्स की ब्रांडिंग में खेल


अभिभावक संघ के अध्यक्ष पीके श्रीवास्तव का कहना है कि चाहे बड़ा कोचिंग सेंटर हो या छोटा, कोचिंग सेंटर्स अभिभावकों और बच्चों को अपने यहां प्रवेश दिलाने के लिए खूब खेल करते हैं. जो बच्चा आईआईटी या मेडिकल की सीट पर जाता है उसे बच्चों को कई कोचिंग सेंटर्स अपने यहां से पढ़कर निकला हुआ बता कर शहरभर में उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करते हैं. इसके खिलाफ कई बार आवाज उठाई है, पर जो बच्चा सफल हो जाता है वह विभिन्न कोचिंग के लिए ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के लिए उनसे पैसा ले लेता है. पूछने पर वह बताता है कि उसने आखिरी समय में उनके यहां से ऑनलाइन कोर्स किया था या फिर टेस्ट सीरीज में शामिल हुआ था. ऐसे में उन पर लीगल कार्रवाई भी नहीं कर सकते हैं. फिटजी मामले में भी इसी तरह का खेल कई बार सामने आ चुका है. फिटजी में जो बच्चा जेईई मेंस या एडवांस में सफल होता था. उसके फोटो राजधानी के दूसरे कोचिंग सेंटर्स भी गर्व के साथ अपनी मार्केटिंग और ब्रांडिंग में प्रयोग करते हैं. जबकि इन संस्थाओं द्वारा एक दूसरे के खिलाफ भी कोई कार्रवाई तक नहीं की जाती है.


कोचिंग सेंटर्स के साथ स्कूलों तक पूरा गड़बड़झाला

पीके श्रीवास्तव के मुताबिक फिटजी के तीन सेंटर्स ही लखनऊ में बंद हुए हैं. यह तो सिक्के का सिर्फ एक पहलू है. फिटजी ने राजधानी के कई बड़े स्कूलों से भी टाइअप कर रखा था. जहां पर कक्षा 9 से लेकर 12 तक के उन बच्चों को इंजीनियरिंग की फुल टाइम क्लासेस आयोजित कराता था. जहां पर बच्चों को स्कूल ऑवर के दौरान ही कोचिंग के टीचरों द्वारा ही पढ़ाया जाता था. इसके लिए स्कूल और कोचिंग मिलकर के फीस चार्ज करते थे. इससे भारत सरकार की गाइडलाइन का भी उल्लंघन नहीं होता था और बच्चों को स्कूल में ही फुल टाइम कोचिंग पढ़ने का भी मौका मिल जाता है.


अभिभावकों ने फिटजी के खिलाफ ही खोल रखा है मोर्चा


फिटजी लखनऊ सेंटर्स के बंद होने के बाद यहां पर पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों ने संस्थान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. फिटजी की अलीगढ़ ब्रांच के खिलाफ अलीगंज थाने में करीब दर्जनभर से अधिक अभिभावकों ने मुकदमा लिखने के लिए तहरीर दी है. अभिभावक पुरेन्दू शुक्ला ने बताया कि फिटजी ने उनसे कड़ी पौने तीन लाख रुपये कक्षा 11 और 12 के लिए फीस के तौर पर लिया था. जिसमें से करीब वह सवा दो लाख से अधिक रुपये कोचिंग संस्था को दे चुके थे, बाकी शेष पैसा उन्हें देना था. हालांकि इसके पहले कोचिंग संस्था रातों-रात सेंटर बंद करके भाग गई. ऐसे में जो अभिभावक फीस दे चुके थे वह मजबूरी में फिटजी कोचिंग के ही शिक्षकों द्वारा दूसरी कोचिंग में एडमिशन दिलाने के प्रलोभन में फंसकर अपने बच्चों को वहां प्रवेश दिला चुके हैं. बहरहाल ठगे गए कई अभिभावक संस्थान के खिलाफ मुकदमा लिखाने के लिए पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं.

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