अजमेर. पुरी में भगवान जगन्नाथ की तर्ज पर अजमेर में भी रथ यात्रा निकालने की परंपरा 90 बरस पुरानी है. अजमेर का श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा जनकपुरी गंज पूरी शिद्दत के साथ भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकालता आया है. बड़ी संख्या में अजमेर की नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग रथ को छूने और भगवान का पारंपरिक विशेष प्रसाद खाने के लिए आते हैं. खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महोत्सव 10 दिवस का केवल अजमेर में ही मनाया जाता है.
भगवान का विशेष प्रसाद खाने आते हैं भक्त :संरक्षक नरेंद्र कुमार डीडवानिया ने बताया कि 7 जुलाई को सुबह घी मंडी में स्थित चारभुजा नाथ मंदिर से भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी पारंपरिक रूप से धूमधाम के साथ ऋषि घाटी स्थित जगदीश मंदिर लाई जाती है. शाम को भगवान जगदीश के मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की 90 बरस पुरानी परंपरा है. रथ यात्रा के आगे भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी होती है. भगवान जगन्नाथ के रथ को भक्तों की ओर से खींचा जाता है. उन्होंने बताया कि रथ को खींचना और उसे छूने के लिए लोगों में होड़ मची रहती है. जिले से ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन करने और भगवान का विशेष प्रसाद अटा खाने के लिए आते हैं. समिति की ओर से रथ यात्रा के दौरान अटा प्रसाद का वितरण किया जाता है.
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पारंपरिक तरीके से बनता है भगवान का विशेष भोग :समिति के अध्यक्ष संजय कंदोई ने बताया कि पुरी में भगवान जगन्नाथ को अटा का विशेष भोग लगाया जाता है. इसे विशेष तरीके से बनाया जाता है. उसी प्रकार अजमेर में भी समिति की ओर से पारंपरिक तरीके से ही अटा का भोग बनाकर भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है. विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना करने के बाद भोग लगता है तब जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आरंभ होती है. उन्होंने बताया कि अटा प्रसाद चावल, मेवा, घी, दूध, केसर और शक्कर से मिलकर बनता है. इस भोग को बनाने में पानी का उपयोग नहीं होता. पारंपरिक तरीके से चूल्हे पर बड़े भगोने रखे जाते हैं. चूल्हों में लकड़ी और कंडे का उपयोग होता है. भगोने के ऊपर से भी आंच देने के लिए ऊपर थाली रखकर उन पर जलते हुए कंडे रखे जाते हैं, ताकि भोग को ऊपर और नीचे से आंच मिले और वह बराबर पके.
नया बाजार में होती है महाआरती :डीडवानिया ने बताया कि नया बाजार में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया जाता है. इसके बाद भगवान की महाआरती होती है. आरती के बाद भगवान जगन्नाथ तीर्थ यात्रा गंज स्थित जनकपुरी समारोह स्थल पहुंचती है. यहां भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के लिए फूलों का महल बनाया गया है. अगले 9 दिन तक भगवान जगन्नाथ यहीं विराजमान रह कर भक्तों को नित्य दर्शन देते हैं. यहां प्रत्येक दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना और श्रृंगार होता है.