सचिन पायलट (ETV Bharat Jaipur) जयपुर.कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने केरल से लेकर कश्मीर तक 14 से अधिक राज्यों में 51 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभाएं कर वोट मांगा है. चुनावी सभाओं के लिहाज से देखा जाए तो सचिन पायलट ने न केवल राजस्थान के कई दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ दिया है, बल्कि राष्ट्रीय नेताओं की बराबरी में आ गए हैं. खास बात यह है कि सचिन पायलट ने राहुल गांधी की दोनों सीटों पर भी मजबूती से मोर्चा संभाला है. उनके कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पायलट ने अब तक 14 से अधिक राज्यों में 51 से ज्यादा सीटों पर 100 से ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित किया है.
हिमाचल और पंजाब में सभाएं : सचिन पायलट ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश और पंजाब में चार जगह चुनावी सभाओं को संबोधित किया. हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में बियासर, कुल्लू में चुनावी सभा को संबोधित किया. इसके साथ ही पंजाब के अमृतसर में भिंडी सैदां और लुधियाना के नूरवाता रोड और प्रेम नगर में भी चुनावी सभा की.
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वायनाड और रायबरेली में भी संभाला मोर्चा : सचिन पायलट ने उन दोनों सीटों पर भी कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाली, जहां से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने केरल की वायनाड सीट पर चुनावी सभाएं की. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के रायबरेली में भी प्रचार अभियान की कमान संभाली. इन दोनों सीटों से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी संभाली कमान : सचिन पायलट ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान को धार दी है. राजस्थान में उन्होंने 14 लोकसभा सीटों पर 28 जगह चुनावी सभाएं कर कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे. जबकि बतौर छत्तीसगढ़ प्रभारी उन्होंने वहां भी पार्टी के चुनावी अभियान की रणनीति तय की. छत्तीसगढ़ में भी उन्होंने चुनावी सभाएं भी की.
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वोट तो पाकिस्तान और रूस में भी होते हैं, लेकिन लोकतंत्र नहीं : हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट पर बुधवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सचिन पायलट ने केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2014 में लुभावने वादे कर चुनाव जीता और सत्ता में आई, लेकिन अब दस साल बाद भी वे अपने काम पर वोट मांगने के बजाए मंगलसूत्र और भैंस की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि वोट तो पाकिस्तान और रूस में भी होते हैं, लेकिन वहां मजबूत लोकतंत्र नहीं है. भारत में संवैधानिक संस्थाओं की वजह से लोकतंत्र मजबूत है, लेकिन बीते दस साल में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश हुई है.