सिरसा: हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट पंजाब और राजस्थान के बॉर्डर के शेयर करती है. बॉर्डर क्षेत्र होने की वजह से यहां की राजनीति तीन प्रदेशों को प्रभावित करती है. मौजूदा वक्त में यहां से बीजेपी से सुनीता दुग्गल सांसद हैं. उन्होंने ये चुनाव 3 लाख 9 हजार वोट से जीता था. सिरसा संसदीय क्षेत्र में कुल 20 लाख मतदाता हैं. यानी जीतने वाले उम्मीदवार को 7 लाख का आंकड़ा पार करना होगा.
बाहरी उम्मीदवारों का रहा है दबदबा: हरियाणा गठन के बाद 1967 के आम चुनाव में दलबीर सिंह यहां से सांसद चुने गए. वो सर्वाधिक चार बार इस सीट से सांसद रहे. जबकि दो बार उनकी बेटी कुमारी सैलजा यहां से सांसद बनी. रोचक पहलू ये है कि यहां पर अधिकतर बाहरी उम्मीदवार की जीत हुई है. 1967 लेकर 2019 तक इस सीट पर 14 आम चुनाव और एक उप चुनाव हुआ है. इनमें 10 बार बाहरी उम्मीदवारों को जीत मिली है.
सिरसा लोकसभा सीट पर 1967, 1971, 1980 और 84 में सांसद बने दलबीर सिंह मूल रूप से हिसार के गांव प्रभुवाला के रहने वाले थे. वहीं 1977 में जनता पार्टी से सांसद बने चांदराम झज्जर के गांव खरड़ से ताल्लुक रखते थे. 1991 और 1996 में सांसद बनी कुमारी सैलजा भी हिसार से ताल्लुक रखती हैं, जबकि 1998 और 1999 में सांसद बने डॉक्टर सुशील इंदौरा मूल रूप से राजस्थान के गंगानगर के रहने वाले हैं.
इस सीट पर 2009 में सांसद बने अशोक तंवर झज्जर के गांव चिमनी के रहने वाले हैं. 2019 में सांसद बनीं सुनीता दुग्गल हिसार की रहने वाली हैं. यहां पर तीन ऐसे सांसद रहे जो मूल रूप से इसी लोकसभा सीट से ताल्लुक रखते हैं. इनमें आत्मा सिंह गिल फतेहाबाद जिला के गांव बलियाला के रहने वाले हैं. 1988 और 1989 में सांसद रहे स्वर्गीय हेतराम जो सिरसा निवासी थे. 2014 में सांसद बने चरणजीत सिंह. वो सिरसा जिला के गांव रोड़ी के रहने वाले हैं.
सिरसा लोकसभा सीट का सियासी इतिहास: विजेता बनने वाले उम्मीदवारों में सबसे अधिक मत प्रतिशत लेने का रिकॉर्ड जनता दल के चांदराम के नाम हैं. जिन्होंने 1977 में जनता दल की टिकट पर 3 लाख 95 हजार 788 मतों में 2 लाख 70 हजार 801 यानी 68.44 प्रतिशत के करीब मत हासिल किए. इसी प्रकार से विजेता उम्मीदवारों में सबसे कम मत प्रतिशत का रिकॉर्ड कांग्रेस की कुमारी सैलजा के नाम है.
सैलजा ने 1996 के चुनाव में कुल 8 लाख 22 हजार 156 मतों में से करीब 2 लाख 75 हजार 459 करीब 33.50 मत प्रतिशत हासिल करते हुए जीत हासिल की थी. 1998 और 1999 में सिरसा सीट से इनेलो के सुशील इंदौरा सांसद चुने गए. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2004 के चुनाव में कांग्रेस के आत्मा सिंह गिल ने 3 लाख 49 हजार वोट लेते हुए डॉक्टर सुशील इंदौरा को करीब 62 हजार वोट से हराया. 2009 में कांग्रेस के अशोक तंवर ने 4 लाख 15 हजार वोट लेते हुए इनेलो के सीताराम को करीब 35 हजार वोटों से जबकि 2014 में इनेलो के चरणजीत रोड़ी को 1 लाख 15 हजार वोट से हराया.