गुरुग्राम:हरियाणा में नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बार नगर निगम चुनाव में मेयर का डायरेक्ट चुनाव है, यानी जनता सीधे ही अपने मेयर को वोट कर उसे जीता सकती है. ऐसे में साइबर सिटी पर चुनावी रंग चढ़ने लगा है. नगर निगम चुनाव की घोषणा के साथ ही शहर में चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई है.
गुरुग्राम नगर निगम में 36 तो मानेसर में 20 वार्ड : इस बार गुरुग्राम नगर निगम में 36 वार्ड तो मानेसर नगर निगम में 20 वार्ड बनाए गए हैं. दोनों नगर निगम में पोस्टर के जरिए मेयर से लेकर पार्षद पद के दावेदार अपनी दावेदारी पुख्ता करने लगे हैं. दोनों नगर निगम में पहली बार मेयर का चुनाव डायरेक्ट होगा. लिहाजा इस बार का चुनाव कई मायनों में अहम होगा. इस चुनाव की खास बात ये होगी कि प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाकर सत्तासीन हुई भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री और एक प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सहित 3 विधायकों की साख दांव पर लगी है.
पटौदी, हैलीमंडी और फर्रूखनगर में भी चुनाव : गुरुग्राम प्रदेश का ऐसा पहला जिला है, जिसमें दो नगर निगम, दो नगर परिषद और एक नगर पालिका है. नगर निकाय के हिसाब से सभी जगह पर चुनाव होने हैं. पूरा जिला एक ही लोकसभा क्षेत्र में आता है. गुरुग्राम और मनेसर दोनों नगर निगम में दो मेयर पद, सोहना, पटौदी, जाटोली मंडी नगर परिषद में चेयरमैन चुने जाएंगे.
केंद्रीय मंत्री और कैबिनेट मंत्री का रहेगा बड़ा रोल : नगर निकाय चुनाव में केंद्रीय राज्य मंत्री, गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह और हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह की अहम भूमिका रहती है. दोनों नेताओं के समर्थक भारी संख्या में है. जो टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही बीजेपी से तालुकात रखते हैं. इसलिए बीजेपी किस नेता को तवज्जो देती है और किसके समर्थकों को ज्यादा तवज्जो देगी, ये तो वक्त ही बताएगा.
अब तक राव इंद्रजीत का पलड़ा रहा है भारी : गुरुग्राम नगर निगम का गठन साल 2008 में हुआ था, लेकिन निगम का पहला चुनाव 2011 में हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का दबदबा रहा है. हालांकि पिछले दो चुनाव में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं हुआ, लेकिन राव इंद्रजीत ने अपनी पूरी हनक दिखाते हुए मेयर पद अपने पाले में ही रखा. 2017 में हुआ चुनाव सीधे तौर पर भाजपा बनाम भाजपा रहा, जिसमें बाजी राव इंद्रजीत के ही हाथ लगी. राव इंद्रजीत और प्रदेश में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर के बीच हुई वर्चस्व की जंग में जीत राव इंद्रजीत सिंह को मिली. उन्होंने कांग्रेस के पार्षदों की क्रॉस वोटिंग कराकर अपने चहेते कार्यकर्ता को मेयर बनवाया. इस चुनाव में भले ही 35 में से 13 पार्षद बीजेपी के जीते हों, लेकिन बाद में निर्दलीय पार्षदों को उन्होंने भाजपा में शामिल करवाया. मेयर पद और डिप्टी मेयर पद को राव इंद्रजीत के इशारों पर ही भरा गया. मेयर मधु आजाद तो डिप्टी मेयर सुनीता यादव को चुना गया था. जबकि सीनियर डिप्टी मेयर कांग्रेस नेता गजेसिंह कबलाना की धर्मपत्नी प्रोमिला कबलाना को भी राव इंद्रजीत के इशारों पर ही दिया गया था.
अधिकरतर नेता भाजपा का मांग रहे टिकट : टिकट के दावेदारों की बीजेपी के पास लंबी सूची है. निगम चुनाव घोषणा के साथ ही मेयर टिकट और पार्षदों की टिकट को लेकर भारतीय जनता पार्टी के पास फिलहाल सबसे लंबी सूची है. पार्षद के टिकट के लिए बीजेपी के पास 500 से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया हुआ है, जबकि मेयर पद की टिकट के लिए 50 से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया हुआ है.