लातेहारःसामान्य तौर पर भले ही सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के प्रति आम लोगों के मन में बहुत अच्छी धारणा नहीं होती है, लेकिन लातेहार सदर अस्पताल के कुपोषण उपचार केंद्र की छवि बिल्कुल अलग है. इसे कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी के रूप में देखा जाता है.
दरअसल, लातेहार जिला अत्यंत पिछड़ा और गरीब जिला माना जाता है. यहां के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. ऐसे में बच्चों में कुपोषण का मामला यहां अक्सर देखने और सुनने को मिलता है. कुपोषण के कारण बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है. ऐसे कुपोषित बच्चों को सही समय पर इलाज कर उन्हें कुपोषण मुक्त बनाने के लिए सरकार के द्वारा लगातार कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इन्हीं कार्यक्रमों में एक कुपोषण उपचार केंद्र भी है.
पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का केंद्र में होता है इलाज
कुपोषण उपचार केंद्र में 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का समुचित इलाज और देखभाल किया जाता है. जिससे कुपोषण का शिकार हुए बच्चे काफी हद तक स्वस्थ हो जाते हैं. लातेहार सदर अस्पताल में संचालित कुपोषण उपचार केंद्र इस उद्देश्य में पूरी तरह सफल होता नजर आ रहा है.
लातेहार के केंद्र में 4000 से अधिक बच्चों का हुआ इलाज
लातेहार के कुपोषण उपचार केंद्र में अब तक 4000 से अधिक बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई गई है. वर्ष 2024 में जनवरी से लेकर अब तक कुपोषण उपचार केंद्र में 54 कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. इनमें से 43 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर चले गए हैं. वहीं शेष बच्चों का इलाज चल रहा है.
कुपोषित बच्चों के डाइट और दवा का विशेष ख्याल रखा जाता है
कुपोषण उपचार केंद्र लातेहार में कार्यरत एएनएम संजू कुमारी बताती हैं कि इस केंद्र में 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है. उन्होंने बताया कि केंद्र में भर्ती किए जाने वाले कुपोषित बच्चों के डाइट और दवा का विशेष ख्याल रखा जाता है. विशेषज्ञ मेडिकल स्टाफ के द्वारा बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है. लगभग 15 से लेकर 23 दिनों तक बच्चों को केंद्र में रखा जाता है. केंद्र से छुट्टी दिए जाने के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य का फॉलोअप स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लिया जाता है. जरूरत पड़ने पर वापस बच्चों को केंद्र में भी फिर से भर्ती कर इलाज आरंभ किया जाता है. कुपोषण उपचार केंद्र में 24 घंटे विशेषज्ञ एएनएम उपस्थित रहती हैं. वहीं विशेषज्ञ चिकित्सक लगातार बच्चों की स्वास्थ्य जांच करते हैं.