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कोरबा के भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से की जमीन तीसरी बार धंसी, ग्रामीणों में दहशत - भूमिगत खदान क्षेत्र में धंसी जमीन

कोरबा जिले के मकुजुड़ एसईसीएल की विजय वेस्ट भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से की जमीन एक बार फिर धंस गई है. इस घटना के बाद खदान के आस पास के ग्रामीण और क्षेत्रवासी काफी सहमे हुए हैं. प्रभावित जंगल क्षेत्र में दरार का दायरा बढ़ जाने से अनजाने हादसों का खतरा भी बढ़ गया है. हालांकि हादसे की एसईसीएल ने आधिकारिक पुष्टी नहीं की है.

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कोरबा के भूमिगत खदान में धंसी जमीन

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 7, 2024, 8:13 PM IST

कोरबा के भूमिगत खदान में धंसी जमीन

कोरबा: जिले के सीमांत कोरबी-चोटिया इलाके में जमीन धंसने का मामला सामने आया है. यह घटना सोमवार 5 जनवरी के रात की बताई जा रही है. मकुजुड़ एसईसीएल की विजय वेस्ट भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से की जमीन एक बार फिर धंस गई है. हाल फिलहाल में यह तीसरी बार है, जब जमीन धंसी है. इस घटना के बाद खदान के आस पास के ग्रामीण और क्षेत्रवासी काफी सहमे हुए हैं.

कोरबा के टनेरा सर्कल का मामला: यह घटना कटघोरा वन मंडल के पसान वन परिक्षेत्र अंतर्गत जलके-तनेरा सर्किल का है. जहां जमीन धंसने की घटना हुई है. कुछ साल पहले भी यहां जमीन धंसने की घटना हुई थी, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया था. अब तीसरी बार फिर से जमीन धंसने की घटना घटी है. इसकी वजह से बड़ी संख्या में छोटे-बड़े पेड़ पौधे इसमें समा गये हैं. वहीं प्रभावित जंगल क्षेत्र में दरार का दायरा बढ़ जाने से अनजाने हादसों का खतरा भी बढ़ गया है.

जमीन धंसने से बनी 3 फ़ीट चौड़ी दरार: आज हुए हादसे के बाद जमीन में लगभग 3 फीट चौड़ी और काफी गहरी दरार आ गई है. सबसे पहले मवेशियों को चराने के लिए इस क्षेत्र में आने वाले चरवाहों ने इसे देखा, जिसकी सूचना उन्होंने आस पास के ग्रामीणों को दी. जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. इस दरार में गिरकर एक गाय की मौत होने की भी खबर है. जंगल धंसने वाली क्षेत्र में गोंदरिया मोहल्ला है, जहां पण्डो जनजाति के कुछ लोग निवासरत हैं. इनके आवास को भी इस हादसे से हानि होने की सूचना है. इस संबंध में जब क्षेत्र के संबंधित वन अधिकारी से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की है.

एसईसीएल ने नहीं की आधिकारिक पुष्टी:जंगल के रास्ते जाने वालों के सामने किसी भी वक्त भू धंसान होने से जान-माल का खतरा बन गया है. इस बात पर चिन्ता और आश्चर्य भी जाहिर किया जा रहा है कि पहले और वर्तमान में हुए भू धंसान के बाद ऐहतियात के तौर पर कोई सुरक्षा घेरा या बेरिकेटिंग आदि नहीं की गई है. स्थानीय प्रशासन द्वारा न ही इस संबंध में कोई चेतावनी जारी हुई है. स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, एसईसीएल प्रबंधन पर अनदेखी का भी आरोप लगा है. एसईसीएल की तरफ से भी कोई जानकारी फिलहाल नहीं मिल सकी है.

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