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अर्जुन को लगी प्यास तो श्री कृष्ण ने त्रिकूट पहाड़ी पर सुदर्शन चक्र से खोदा था कुआं, आज भी मौजूद है पानी! - Krishna Janmashtami 2024

Jaislu Well and God Shri Krishna : भगवान श्री कृष्ण का जैसलमेर से भी गहरा नाता रहा है. मान्यता है कि अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए यहां श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से कुआं खोदा था. ये कुआं आज भी वहां मौजूद है. पढ़िए पूरी कहानी...

जैसलू कुआं की कहानी
जैसलू कुआं की कहानी (ETV Bharat Jaisalmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 26, 2024, 12:41 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 1:17 PM IST

जैसलू कुआं का इतिहास (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर : आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. जैसलमेर की धरा का भी नाता श्री कृष्ण से रहा है. मान्यता है कि श्री कृष्ण ने यहां सुदर्शन चक्र से कुआं खोदा था, जो आज भी मौजूद है. हालांकि, इसे अब बंद कर दिया गया है, लेकिन बताया जाता है कि आज भी इस कुएं में पानी है. विश्वविख्यात सोनार दुर्ग में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर के पास स्थित जैसलू कुआं काफी प्राचीन है. इस कुएं ने 1965 तक जैसलमेर के लोगों की प्यास बुझाई है. मान्यता है कि जब अर्जुन को प्यास लगी तो कृष्ण ने त्रिकूट पहाड़ी पर सुदर्शन चक्र से यह कुआं खोदा था. यह कुआं पहाड़ी पर है, जो आज भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है.

सुदर्शन चक्र से यहां पर कुआं खोदा :इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा के अनुसार प्राचीन काल में मथुरा से द्वारिका जाने का रास्ता जैसलमेर से होकर निकलता था. एक बार श्रीकृष्ण भगवान व अर्जुन इसी रास्ते से द्वारिका जा रहे थे. जैसलमेर की इस त्रिकूट पहाड़ी पर कुछ देर विश्राम करने के लिए रुके. इस दौरान अर्जुन को प्यास लगी और आसपास कहीं पानी नहीं था. तब श्री कृष्ण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से यहां पर कुआं खोद दिया और अर्जुन की प्यास बुझाई.

जैसलू कुआं (ETV Bharat Jaisalmer)

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महारावल जैसल ने सोनार दुर्ग की नींव रखी :उन्होंने बताया कि मेहता अजीत ने अपने भाटीनामे में लिखा कि एक शिलालेख पर यह भविष्यवाणी है कि 'जैसल नाम का जदुपति, यदुवंश में एक थाय. किणी काल के मध्य में, इण था रहसी आय'. इसका तात्पर्य यह है कि जैसल नाम का राजा यहां आकर अपनी राजधानी बनाएगा. ऐसा ही हुआ. इस त्रिकूट गढ़ पर महारावल जैसल ने संवत 1212 में सोनार दुर्ग की नींव रखी और विशाल दुर्ग बनाया. उन्हें पहाड़ी पर पहले से ही स्थित कुआं मिल गया.

कुएं से सरस्वती नदी का पानी निकला: इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन समय में पहले पानी की व्यवस्था देखी जाती और उसके बाद बस्ती बसाई जाती थी. महाभारत काल में सरस्वती नदी का भी उल्लेख है. बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने त्रिकूट गढ़ पर अपने सुदर्शन चक्र से जैसलू कुएं को खोदा था तो इसमें सरस्वती नदी का पानी निकला था. इस नदी के बहाव क्षेत्र को तलाश करने के लिए अभी भी कई विशेषज्ञ जुटे हुए हैं. कई प्रमाण ऐसे मिल चुके हैं जिससे यह साबित हो चुका है कि सरस्वती नदी इसी इलाके से बहती थी.

आज भी मौजूद है पानी! (ETV Bharat Jaisalmer)

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1965 तक यह कुआं चालू था :पानी की कीमत जैसलमेर के प्राचीन लोगों को सर्वाधिक पता है. यहां बारिश नहीं होती थी, ऐसे में हमेशा पानी का संकट रहता था. प्राचीन काल में दुर्गवासी जैसलू कुएं से और शहरवासी गड़ीसर सरोवर से अपनी प्यास बुझाते थे. इतिहासकारों के अनुसार 1965 तक यह कुआं चालू स्थिति में था. जैसलमेर में बारिश की कमी के चलते हमेशा पानी की कमी रहती थी. इस वजह से हर गांव व शहर में प्राचीन बेरियां और कुएं मौजूद हैं. इनकी बनावट ऐसी है कि ये सब तालाबों के आसपास बने हुए हैं.

5 हजार साल से भी अधिक पुरानी घटना : तालाब में आने वाला बारिश का पानी ही इन बेरियों व कुओं में पहुंच जाता था और यहां के लोग साल भर तक उस पानी का उपयोग करते थे. जैसलूं कुएं के बारे में विभिन्न तवारीखों व शिलालेखों में यही लिखा है कि श्रीकृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से इसे खोदा था. यह करीब 5 हजार साल से भी अधिक पुरानी घटना है. इसके बाद महारावल जैसल ने इस त्रिकूट पहाड़ी पर सोनार दुर्ग का भव्य निर्माण करवाया था.

Last Updated : Aug 26, 2024, 1:17 PM IST

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