अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सामुदायिक चिकित्सा कर्मचारी, ग्रामीण क्षेत्रों में चरमराई स्वास्थ सुविधाएं - Korba News
कोरबा में सामुदायिक चिकित्सा कर्मचारी अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट के पास धरने पर बैठ गए हैं. इस हड़ताल में कोरबा जिले के डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारी शामिल हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से जिले भर में चिकित्सा सेवा तरमरा गई है. वहीं कर्मचारियों ने मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
सामुदायिक चिकित्सा कर्मचारियों की हड़ताल (ETV Bharat)
कोरबा : सामुदायिक चिकित्सा कर्मचारी (सीएचओ) अपनी 3 मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. सभी कलेट्रेट के समीप ही धरने पर बैठे हैं. इस हड़ताल में कोरबा जिले के 170 से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाओं पर असर पड़ रहा है. खासतौर से वो मरीज, जो ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, उन्हें अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है.
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में हुई थी नियुक्ति :छत्तीसगढ़ सरकार ने इन सभी कर्मियों को पिछले साल हेल्थ एन्ड वैलनेस सेंटर में सेवा करने का मौका दिया था. कोरबा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में संचालित हो रहे ऐसे वैलनेस सेंटर में कर्मचारियों की संख्या 170 के आसपास है. सभी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. प्रदर्शन स्थल पर इन सभी ने मांगों को लेकर नारेबाजी भी की है.
8 महीने का इंसेंटिव बकाया : सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष एमएस चौहान ने बताया,"वेतन और 8 महीने का इंसेंटिव बकाया है. वेतन विसंगति और अन्य मांग काफी लंबे समय से की जारी है, लेकिन उसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. निश्चित रूप से इस हड़ताल के कारण संबंधित केंद्रों में लोगों को मिलने वाली सेवाओं पर असर पड़ा है.
"वेतन विसंगति और अन्य मांग काफी लंबे समय से की जारी है, लेकिन उसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. कहीं न कहीं उनकी लापरवाही के कारण आज यह स्थिति है. यही हाल रहा तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा." - एमएस चौहान, जिलाध्यक्ष, सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रकोष्ठ
"परिवार की स्थिति खराब":स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की पदाधिकारी धनेश्वरी टांडे ने बताया, "उनके एक सहयोगी पवन वर्मा को गलत जानकारी के आधार पर सेवा से मुक्त कर दिया गया. हमने सरकार से मांग की है कि उनकी बहाली जल्द कराई जाए."
"आठ माह से वेतन नहीं मिलने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है. सभी कर्मचारियों ने अपने मूल निवास पर पोस्टिंग मांगी था, क्योंकि उन्हें पारिवारिक दिक्कतें आ रहे हैं. इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है." - धनेश्वरी टांडे, पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ
ग्रामीण क्षेत्रों में चरमराई स्वास्थ्य सुविधाएं :ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वालेस सेंटर के तौर पर संचालित किया जा रहा है. केंद्र सरकार की योजना के बाद राज्य सरकार ने यहां कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की नियुक्ति की थी. बीपी, शुगर से लेकर मौसमी बीमारियों और कई तरह के जांच की सुविधा इन सेंटर से मिलती है। सीएचओ स्तर के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से खासतौर पर ग्रामीण स्तर पर मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है.