गेवरा कोयला खदान से हर साल निकलेगा 70 मिलियन टन कोयला - गेवरा कोयला खदान
Korba Gevra coal mine कोरबा का गेवरा कोल खदान अब एशिया का सबसे बड़ा कोल माइंस बन सकता है. इस माइंस की कोल क्षमता को 52.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 70 मिलियन टन प्रति वर्ष करने की मंजूरी मिल गई है. Asia largest coal mine
रायपुर/कोरबा/नई दिल्ली: कोयला इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ने गेवरा खदान की उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए कोयला मंत्रालय को पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से 70 मिलियन टन कोयला उत्पादन की क्षमता बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है. इस मंजूरी के बाद अब गेवरा कोयला खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने की राह पर आगे बढ़ जाएगी.
70 मिलियन टन कोयला निकालने की मिली मंजूरी: रिकॉर्ड समय में 70 मिलियन टन कोयला निकालने की मंजूरी पर्यावरण और वन मंत्रालय से मिली है. इसके लिए कई कठोर प्रयास किए गए. केंद्रीय पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से हरी झंडी मिली.
"गेवरा को अत्याधुनिक खनन कार्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनाने का सपना है और यह उस यात्रा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. प्रबंधन ने गेवरा खदान के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल करने में उनके समर्थन के लिए मंत्रालय को धन्यवाद दिया है. यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन है कि एसईसीएल और छत्तीसगढ़ राज्य जल्द ही एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान का घर होगा" :प्रेम सागर मिशा, सीएमडी, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड
गेवरा कोल माइंस के बारे में जानिए: गेवरा कोल माइंस छत्तीसगढ़ का प्रमुख कोयला खदान है. साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के मेगाप्रोजेक्ट्स में से यह एक है. इस खदान में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वार्षिक उत्पादन 52.5 मिलियन टन रहा. इस उपलब्धि के साथ यह पिछले साल देश की सबसे बड़ी खदान बन गई. 40 सालों से यह खदान देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने में सहयोग करता आ रहा है. खदान की मारक लंबाई लगभग 10 किलोमीट और चौड़ाई 4 किलोमीटर है