जयपुर :अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध सांभरलेक की मिठाई फीणी देश-विदेश में अपनी खुशबू फैला रही है. रसीले पतले-पतले मैदा के तारों से बनने वाली ये फीणी एक खास क्लाइमेट में ही तैयार होती है. नए साल और मकर संक्रांति पर इसकी मांग देश-विदेश में बढ़ जाती है. प्रसिद्ध जयपुरिया फीणी भंडार के मालिक राजेश शर्मा ने बताया कि यहां की फीणी का जायका सैकड़ों साल पुराना है. मैदे से बनने वाली फीणी में 1296 महीन तार बनते हैं. सांभरलेक में आने वाला हर व्यक्ति भी यहां की मिठाई का स्वाद चखे बिना नहीं रहता. वर्षों से यहां मिठाई फीणी बनाने का काम किया जाता है. सांभरलेक के पुस्तकालय में 16वीं शताब्दी में लिखी गई चंदबरदाई की प्रसिद्ध पुस्तक पृथ्वीराज रासो में इस मिठाई का जिक्र मिलता है. पुस्तक के अनुसार जब पृथ्वीराज चौहान की शादी हुई थी, तब इस मिठाई काे शाही भोज के दौरान मेहमानों को परोसा गया था.
बाजारों में महकती है फीणी की खुशबू :सांभरलेक के बाजार में प्रवेश करते ही फीणी की सौंधी खुशबू आनी शुरू हो जाती है. यहां के दुकानों पर पारंपरिक तरीके से देसी और घी में बनी फीणी मिलती है. सांभरलेक के प्रसिद्ध शर्मा मिष्ठान भंडार के मालिक दीपक शर्मा ने बताया कि 120 साल से उनकी तीसरी पीढ़ी फीणी बनाने का काम कर रही है. यहां के नमक के वातावरण के चलते फीणी अच्छी और स्वादिष्ट बनती है, जिसकी देश-विदेश में मांग रहती है. सांभरलेक में फीणी का कारोबार सर्दियों में बढ़ जाता है. यहां की फीणी का हर शुभ कार्य में लोग स्वाद लेते थे. फीणी राजस्थान के अलावा कोलकाता, मुंबई, पुणे सहित कई प्रदेशों में भेजी जाती है. इतना ही नहीं विदेशों में भी इस मिठाई की डिमांड रहती है.