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क्या झारखंड के दलित वोटर्स ने इंडिया गठबंधन को नकारा, सभी 09 एससी आरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा रही आगे! - Lok Sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Jharkhand Dalit voters rejected India Alliance? लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड के दलित वोटर्स ने इंडिया गठबंधन को नकार दिया. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि झारखंड की सभी 09 अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार भाजपा से पीछे रहे. क्या कुछ कहते हैं, कांग्रेस और जेएमएम के नेता और इसे कैसे देखती है झारखंड भाजपा. जानें, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

Know Why Dalit voters of Jharkhand rejected India Alliance in Lok Sabha election 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 10, 2024, 6:19 PM IST

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में राज्य की सभी अनुसूचित जनजाति सीट पर अपनी जीत को इंडिया ब्लॉक के दल बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की एक मात्र अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) आरक्षित पलामू सीट पर मिली जीत के साथ-साथ राज्य की सभी 09 एससी आरक्षित विधानसभा सीटों पर मिली बढ़त से उत्साहित है.

झारखंड के दलित वोटर्स को लेकर झामुमो, कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बयान (ETV Bharat)

इस वर्ष लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा करें तो एससी आरक्षित सभी 09 सीटों पर भाजपा ने असाधारण प्रदर्शन किया है. जेएमएम, कांग्रेस, राजद और सीपीआई माले के बीच मजबूत चुनावी गठबंधन के बावजूद राज्य की एक भी अनुसूचित जाति आरक्षित सीट पर इंडिया गठबंधन के दल भाजपा पर बढ़त नहीं बना सके. इंडिया गठबंधन के लिए चिंता की बात यह भी है कि 2019 विधानसभा चुनाव में जिन तीन अनुसूचित जाति रिजर्व सीट पर झामुमो-कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे. वहां भी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पीछे रह गए.

जुगसलाई (SC) विधानसभा सीट से झामुमो विधायक मंगल कालिंदी अपने लोकसभा उम्मीदवार समीर मोहंती को बढ़त नहीं दिला पाएं. वहीं चतरा (SC) रिजर्व सीट से राजद विधायक और मंत्री सत्यानंद भोक्ता और लातेहार (SC) रिजर्व सीट से झामुमो के विधायक पूर्व शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम अपने इंडिया गठबंधन से कांग्रेसी उम्मीदवार केएन त्रिपाठी को बढ़त नहीं दिला सके.

जानें, झारखंड की अनुसूचित जाति रिजर्व किस विधानसभा सीट पर कौन रहा आगे

देवघर (SC) विधानसभा सीटःलोकसभा चुनाव 2024 में यहां से बीजेपी उम्मीदवार निशिकांत दुबे को 41 हजार 738 मतों की लीड मिली. वहीं इस क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप यादव भाजपा से पिछड़ गये.

सिमरिया (SC) रिजर्व सीटः इस अनुसूचित जाति आरक्षित सीट पर भाजपा उम्मीदवार कालीचरण सिंह को 77 हजार 596 मतों की लीड कांग्रेस उम्मीदवार केएन त्रिपाठी पर मिली है.

जानें, झारखंड की अनुसूचित जाति रिजर्व किस विधानसभा सीट पर कौन रहा आगे (ETV Bharat)

चतरा (SC) रिजर्व सीटः इस सीट से वर्तमान में राजद के विधायक सत्यानंद भोक्ता चंपाई सरकार में मंत्री हैं. इसके बावजूद वह अपने सहयोगी दल कांग्रेस को बढ़त नहीं दिला सके. यहां पर भाजपा को कांग्रेस उम्मीदवार पर 76 हजार से अधिक मतों की लीड मिली.

लातेहार (SC) रिजर्व सीटः वर्तमान में इस सीट से झामुमो के कद्दावर नेता और पूर्व शिक्षामंत्री बैद्यनाथ राम विधायक हैं. अपने विधानसभा क्षेत्र में ही बैद्यनाथ राम सहयोगी दल के उम्मीदवार केएन त्रिपाठी को बढ़त नहीं दिला पाए.

जमुआ (SC) रिजर्व सीटः कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के जमुआ अनुसूचित जाति आरक्षित सीट पर भी भाजपा उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी, सीपीआई माले उम्मीदवार विनोद सिंह से 54 हजार 466 मतों से आगे रहीं. अन्नपूर्णा देवी को 1 लाख 15 हजार 578 वोट मिले जबकि विनोद कुमार सिंह को 61 हजार 112 मत ही प्राप्त कर सके.

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जुगसलाई (SC) रिजर्व सीटः जमशेदपुर लोकसभा अंतर्गत एससी रिजर्व इस सीट से वर्तमान में झामुमो से मंगल कालिंदी विधायक हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों का विधानसभा वार आकलन करें तो जुगसलाई में भी एनडीए से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार 56 हजार 759 मतों से पिछड़ गए. यहां भाजपा उम्मीदवार विद्युत वरण महतो को 1 लाख 39 हजार 852 वोट मिले. वहीं झामुमो उम्मीदवार समीर मोहंती को महज 83 हजार 093 मत ही प्राप्त हुए.

छतरपुर (SC) रिजर्व सीटः पलामू लोकसभा के अंतर्गत अनुसूचित जाति रिजर्व सीट छतरपुर में भी इंडिया गठबंधन की ओर से राजद उम्मीदवार ममता भुइयां, भाजपा उम्मीदवार वीडी राम से 24 हजार 603 मतों से पिछड़ गयीं. वीडी राम को 95 हजार 985 मत मिले जबकि राजद उम्मीदवार को 71 हजार 382 वोट ही पा सकीं.

चंदकयारी (SC) रिजर्व सीटः धनबाद लोकसभा अंतर्गत चंदनकियारी अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीट से भी कांग्रेस की उम्मीदवार अनुपमा सिंह भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो से 56 हजार 460 मतों से पीछे रह गईं. यहां से ढुल्लू महतो को 1,00,177 मत मिले जबकि अनुपमा सिंह को महज 43 हजार 717 वोट मिला.

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कांके (SC) रिजर्व सीटः रांची लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत शेड्यूल कास्ट के लिए आरक्षित कांके विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस उम्मीदवार यशश्विनी सहाय पर भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ ने बढ़त बनाये रखा. यहां संजय सेठ को 1 लाख 39 हजार 164 वोट मिले वहीं यशस्विनी सहाय को 1 लाख 19 हजार 271 मत ही मिल सका. वह भाजपा उम्मीदवार से 19 हजार 893 मतों से पीछे रह गयीं.

दलित वोटर्स को अपनी ओर नहीं खींच पाया इंडिया गठबंधन

झारखंड में सभी अनुसूचित जाति आरक्षित सीट पर भाजपा को बढ़त मिली. इसे वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह इस नजरिये से देखते हैं कि राज्य मंत्रिमंडल में एक भी दलित चेहरा को शामिल नहीं करने पर एक स्वाभाविक आक्रोश राज्य के दलितों में हैं. चंपाई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से ऐन वक्त पर पूर्व शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम का नाम काटने का गुस्सा इस नतीजे में दिख रहा है. इसके साथ 'भाजपा 400 से अधिक सीट लाकर संविधान बदलना चाहती है' वाला मुद्दा झारखंड के अनुसूचित जाति के लोगों में पकड़ नहीं बना सका. दूसरी ओर भाजपा ने एससी समुदाय के अमर कुमार बाउरी को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी देकर एक मैसेज दिया कि राज्य में भाजपा ही दलित समुदाय की असली हितैषी है.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे होते हैं अलग- झामुमो और कांग्रेस

झारखंड के दलितों के लिए आरक्षित सभी विधानसभा सीट पर इंडिया गठबंधन के पिछड़ने के सवाल ओर झामुमो और कांग्रेस ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. झामुमो नेता मनोज पांडेय और प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि राज्य के आदिवासी, मूलवासी, पिछड़े और दलित इंडिया गठबंधन के साथ खड़े हैं. दोनों ने कहा कि इसका अच्छा उदाहरण इसी चुनाव का एक वाक्या रहा जहां कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव जीत लेती हैं लेकिन गांडेय से हमारे गठबंधन से माले प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह पिछड़ जाते हैं.

झामुमो और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2024 में राज्य के SC रिजर्व सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन करेगा. प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अबकी बार 400 पार का नारा वाली भाजपा लोकसभा चुनाव हार गई है. इसलिए बेवजह इस बात को तूल दे रही है कि हमें दलितों का वोट नहीं मिला है जबकि सच्चाई यह है कि हार भाजपा की हुई है.

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लोकसभा चुनाव 2024 में राज्य की सभी SC आरक्षित सीट पर भाजपा की बढ़त से पार्टी उत्साहित है. क्योंकि अन्य सीटों पर दिग्गज नेताओं के प्रतिनिधित्व के बावजूद इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पिछड़ गये. इसको लेकर प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी कहते हैं कि वर्तमान सरकार के भ्रष्टाचार, गिरती विधि-व्यवस्था और 2019 में किये चुनावी वादे पूरा नहीं करने से जनता इनसे ऊब चुकी है. लोकसभा में तो उन्हें थोड़ा एहसास दिया अब चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी जनता उन्हें सबक सिखाएगी.

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