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धान खरीद में लक्ष्य से दूर रही झारखंड सरकार, जानिए क्या रही वजह - Paddy procurement

Jharkhand government lagged in paddy procurement. झारखंड सरकार लक्ष्य के अनुरूप धान खरीद में इस बार भी पिछड़ गयी है. 60 लाख क्विंटल के लक्ष्य की तुलना में महज 1706788.62 क्विंटल की ही खरीदी हो पायी है. इसके पीछे क्या कारण रहा, जानें इस रिपोर्ट से.

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 14, 2024, 10:24 PM IST

know what reason Jharkhand government remained away from target in paddy procurement
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांचीः झारखंड में किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए सरकार ने निर्धारित दर पर धान खरीदने की व्यवस्था कर रखी है. हर साल की तरह इस बार भी बीते 28 दिसंबर से झारखंड सरकार ने धान खरीद की शुरुआत की जो लोकसभा चुनाव के बाबजूद अनवरत जारी रहा.

इस बार विडंबना यह है कि लाख कोशिशों के बावजूद धान की खरीद राज्य में लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया है. यह लगातार दूसरा वर्ष है जब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग लक्ष्य के अनुरूप धान खरीद में फिसड्डी साबित हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विभाग द्वारा निर्धारित 60 लाख क्विंटल के लक्ष्य की तुलना में महज 1706788.62 क्विंटल ही धान खरीद हो पायी है.

इसी तरह पिछले साल सरकार ने पहले 80 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में घटाते हुए 36,30,000 क्विंटल किया गया और प्राप्ति महज 1716078.88 क्विंटल ही रहा. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इस बार 25 हजार 443 किसानों ने धान बेचने में रुचि दिखाई. इस बार 90 मिलर ने लैम्प्स के माध्यम से 14 जून तक गोदामों में रखे 1175333.60 क्विंटल धान का उठाव किया है.

जिलावार धान खरीद की स्थिति

गढ़वा में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 72384.46 क्विंटल, चतरा में 150000 क्विंटल के मुकाबले 45899.06 क्विंटल, कोडरमा में 100000 की तुलना में 26537.46 क्विंटल, गिरिडीह में 350000 क्विंटल के मुकाबले 104678.60 क्विंटल, देवघर में 300000 क्विंटल में से महज 22306.29 क्विंटल, गोड्डा में 200000 क्विंटल के मुकाबले 45427.76 क्विंटल, साहिबगंज में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 26100.56 क्विंटल, पाकुड़ में 200000 क्विंटल की तुलना में 44867.13 क्विंटल की ही खरीद हुई.

धान खरीद की स्थिति (ETV Bharat)

इसी प्रकार धनबाद में 200000 क्विंटल लक्ष्य की तुलना में 18858.28 क्विंटल, बोकारो में 200000 क्विंटल के मुकाबले में 21743.22 क्विंटल, लोहरदगा में 250000 क्विंटल लक्ष्य में मात्र 8752.79 क्विंटल, पूर्वी सिंहभूम में 600000 क्विंटल लक्ष्य की तुलना में 608220.31 क्विंटल, पलामू में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 49943.46 क्विंटल, लातेहार में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 19059.60 क्विंटल, हजारीबाग में 350000 क्विंटल में मात्र 240658.32 क्विंटल और रामगढ़ में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 71742.79 क्विंटल धान की खरीद हुई.

धान खरीद की स्थिति (ETV Bharat)

वहीं दुमका में 300000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में मात्र 8115.79 क्विंटल, जामताड़ा में 200000 क्विंटल की तुलना में 29031.52 क्विंटल, रांची में 350000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 116510.29 क्विंटल, खूंटी में 150000 के मुकाबले में 16601.53 क्विंटल, गुमला में 300000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 27929.80, सिमडेगा में 200000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 12324.44, पश्चिमी सिंहभूम में 300000 लक्ष्य की तुलना में 24050.52 क्विंटल और सरायकेला-खरसावां में 300000 क्विंटल लक्ष्य के मुकाबले में 13737.10 क्विंटल धान की खरीद सरकार कर पाई है.

धान खरीद की स्थिति (ETV Bharat)

धान खरीद में दुमका सबसे नीचे, हजारीबाग सबसे आगे

इस बार धान खरीद में दुमका सबसे नीचे रहा. यहां 300000 क्विंटल का लक्ष्य रखा गया था जहां महज 8115.79 क्विंटल ही खरीदी हुई. वहीं हजारीबाग धान खरीद में सबसे आगे रहा. यहां 350000 क्विंटल के स्थान पर 240658.32 क्विंटल धान खरीदे गए. राज्य का कोई भी ऐसा जिला नहीं है जिसने लक्ष्य के अनुरूप धान खरीदने मे सफल हुआ हो. नामकुम लैम्प्स के मैनेजर नीरज कुमार कहते हैं कि धान खरीद में आई कमी की बड़ी वजह एक तो धान के पैदावार में इस बार भी कमी देखी गई दूसरी ओर किसानों की उदासीनता बनी रही. सरकार ने जो दर निर्धारित कर रखा है उसी के करीब बिचौलिए भी किसानों से नगद राशि देकर खरीदते रहे.

धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य और सफलता

वर्ष लक्ष्य (क्विंटल में) प्राप्ति (क्विंटल में)
2018-19 40,00,000 22,74,044.65
2019-20 30,00000 38,03,007.67
2020-21 60,85,000 62,88,529.11
2021-22 80,00,000 2,13,365.46
2022-23 36,30,000 1716078.88
(पूर्व में 80,00,000)

धान खरीद देर से शुरू होना भी बनी बड़ी वजह

सरकारी दर पर धान बेचने से किसानों की उदासीनता की बड़ी वजह धान खरीद की शुरुआत में हुई देरी भी मानी जाती है. अमूमन धान खरीद की शुरुआत हर साल 15 दिसंबर से होती थी मगर इस साल धान खरीद की शुरुआत देरी से हुई है. इसके कारण कई किसानों ने पैक्स के माध्यम से बेचने के बजाय खुले बाजार में बेच दिया है. जाहिर तौर पर धान की खरीद कम होने से आने वाले समय में सरकार को कई तरह की परेशानी होगी. मिलर द्वारा धान के बदले निर्धारित अनुपात में मिलनेवाला चावल में कमी आएगी जिसके कारण राज्य सरकार को ग्रीन कार्डधारकों के लिए चावल बाजार से खरीद करके देना होगा. बाजार से चावल खरीद करने में सरकार को भारी भरकम राशि खर्च करने का बोझ पड़ेगा.

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