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देवी देवताओं को कौन से फूल पसंद हैं, क्या है भगवान को पुष्प चढ़ाने से जुड़ी मान्यताएं, जानिए - देवी देवताओं

Deities Favourite Flowers सनातन धर्म के अनुयायी विभिन्न देवी देवताओं को अलग-अलग तरह के फूल अर्पित करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि कौन से देवी देवताओं को कौन से फूल प्रिय हैं. फूल अर्पित करने से जुड़ी क्या मान्यताएं हैं. ऐसे कई सवालों का जवाब तलाशने हमने ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से खास बतचीत की है.

deities favourite flower
भगवान को पुष्प चढ़ाने से जुड़ी मान्यताएं

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 28, 2024, 4:09 AM IST

भगवान को पुष्प चढ़ाने से जुड़ी मान्यताएं

रायपुर: ऐसा माना जाता है कि पूजा पाठ या धार्मिक आयोजन में भगवान को पुष्प चढ़ाना जरूरी होता है. बिना फूल चढ़ाए कोई भी अनुष्ठान या पूजा सफल नहीं माना जाता. ऐसा माना जाता है कि भगवान भक्ति भाव और प्रेम के भूखे होता है. मान्यताओं के अनुसार, देवी देवताओं को उनके पसंदीदा फूल पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ाने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं फूलों के संबंध में शारदा तिलक नामक पुस्तक में कहा गया है- "दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा" जिसका मतलब होता है- देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए.

अलग अलग देवी देवताओं को चढ़ाए जाने फूलों को लेकर मान्यताएं:

भगवान गणेश: ग्रंथों में जिक्र मिलता है कि भगवान श्री गणेश जी को तुलसी को छोड़कर सभी प्रकार के फूल अर्पित कर सकते हैं. पद्म पुराण आचार रत्न में भी इसका जिक्र मिलता है कि गणेश जी की पूजा तुलसी से कभी नहीं करें. इसके बजाय भगवान गणेश को दूर्वा (दूब) चढ़ाने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि दूब भगवान गणेश को प्रिय है. दूर्वा के अंतिम हिस्से में तीन या पांच पत्तियां हो, उसे चढ़ाने के लिए उत्तम माना जाता है.

भगवान शिव: भोलेनाथ या भगवान शिव जी को धतूरे के फूल, हरसिंगार, नागकेसर के सफेद फूल, सुख कमल का गट्टा, कनेर का फूल, कुसुम आंक के फूल अर्पित करना चाहिए. भोलेनाथ को केवड़े का फूल अर्पित करना मना किया गया है.

भगवान विष्णु: भगवान विष्णु को मौलसिरी, जूही, कमल, कदम्ब, मालती, केवड़ा, चमेली, अशोक, वासंती, वैजयंती और चंपा के फूल प्रिय हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाने से वे अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं. यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास में केतकी के फूलों से पूजा करने पर भगवान नारायण जल्द प्रसन्न होते हैं. लेकिन भगवान विष्णु (श्री हरि) को आक, सेमल, कचनार, धतूरा, सहजन, शिरीष और गूलर आदि नहीं अर्पित करना चाहिए.

सूर्य नारायण: सूर्य नारायण की उपासना कुटज के फूलों से की जाती है. इसके अलावा कनेर,पलाश, कमल, चंपा, अशोक और आक आदि के पुष्प भी भगवान सूर्य नारायण को प्रिय मानी जाती है.

भगवान श्री कृष्ण: भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से किया है. इसके अनुसार, श्री कृष्ण जी को कुमुद, चणक, करवरी, मालती, वनमाला व पलाश के फूल अति प्रिय हैं.

भगवती गौरी शंकर: भगवान शंकर को चढ़ाने वाले फूल मां भगवती को भी अति प्रिय हैं. इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं.

माता लक्ष्मी:मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल को माना जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि माता को पीला फूल चढ़ाकर प्रसन्न कर सकते हैं. माता लक्ष्मी जी को लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय माना जाता है, इसलिए इसे भी आप अर्पित कर सकते हैं.

मां काली: मां महाकाली जी को गुड़हल का फूल बेहद पसंद है. मान्यता है कि माता काली को 108 लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है.

मां दुर्गा: मां दुर्गा जी को लाल गुलाब या लाल गुड़हल के पुष्प प्रिय है. उन्हें इन फूलों को अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है.

माता सरस्वती:विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल मां सरस्वती को प्रिय है. इन्हें अर्पित करने से माता सरस्वती प्रसन्न होती हैं.

भगवान हनुमान: भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को लाल पुष्प बेहद प्रिय हैं. इसलिए हनुमान जी को लाल गुलाब, लाल गेंदा फूल आदि पुष्प चढ़ाए जा सकते हैं.

शनि देव: शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल अति प्रिय हैं. इसके साथ ही कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. ऐसा करने पर शनि देव की कृपा जातक पर बनी रहती है.

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