किन्नौर:पंच कैलाशों में से एक किन्नर कैलाश की यात्रा को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. जिला प्रशासन की वेबसाइट https://hpkinnaur.nic.in/gallery/miscellaneous/ पर दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2024 में यह यात्रा आधिकारिक तौर पर 1 अगस्त से 26 अगस्त तक चलेगी. यह यात्रा कठिनतम धार्मिक यात्राओं में से एक है.
ऑनलाइन पंजीकरण हो चुका है शुरू
किन्नर कैलाश की समुद्रतल से ऊंचाई 6050 मीटर है. वहीं, इस यात्रा के लिए 25 जुलाई से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक यात्रा के लिए 1 से 5 अगस्त तक स्लॉट बुक हो गये हैं.
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन खुलते ही करीब डेढ़ घंटे में एक हजार श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवाया. पंजीकरण करवाने वाले लोगों में हिमाचल के अलावा विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु शामिल हैं.
किन्नौर जिला प्रशासन की वेबसाइट https://hpkinnaur.nic.in/gallery/miscellaneous/ पर दी गई जानकारी के मुताबिक 6 अगस्त से दूसरे स्लॉट के लिए बुकिंग 28 जुलाई सुबह साढ़े 11 बजे से शुरू हो गई है. किन्नर कैलाश की यात्रा के लिए हर रोज ऑनलाइन पंजीकरण करने वाले 200 और ऑफलाइन पंजीकरण करवाने वाले 150 श्रद्धालुओं को भेजा जाएगा.
कुल मिलाकर हर रोज 350 श्रद्धालुओं का जत्था यात्रा के लिए भेजा जाएगा. यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं को अपना मेडिकल करवाना जरूरी है. मेडिकल फॉर्म जिला प्रशासन किन्नौर की वेबसाइट पर उपलब्ध है जहां से डाउनलोड कर यात्रा पर जाने वाले इच्छुक श्रद्धालु इसे डाउनलोड कर सकते हैं. श्रद्धालुओं के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तांगलिंग और जिला अस्पताल रिकांगपिओ में मेडिकल जांच करवाने की सुविधा प्रशासन ने उपलब्ध करवाई है.
यात्रा का बेस कैंप है तांगलिंग गांव
इस यात्रा पर जाने के लिए श्रद्धालुओं को बस या किसी अन्य वाहन में जिला किन्नौर के मुख्यालय रिकांगपिओ में आना पड़ता है. रिकांगपिओ से करीब 7 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर स्थित पोवारी नामक स्थान पर आना पड़ता है. इस गांव के लिए रिकांगपिओ से बस और टैक्सी की सुविधा रहती है. पोवारी गांव से सतलुज नदी को पार कर तंगलिंग गांव को जाना पड़ता है. यहां सतलुज नदी को पार करने के लिए एक ट्रॉली लगाई गई है जिसमें बैठने पर रस्से से दूसरा शख्स खींचता है. इस तरह से सतलुज नदी को पार किया जाता है.