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सिक्किम के सुख शांति समृद्धि के लिए काशी के विद्वान ने शुरू किया अनुष्ठान, तीन दिवसीय कार्यक्रम में खुद राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद बने आचार्य - Raj Bhavan Sikkim

काशी के विद्वान सिक्किम के सुख शांति समृद्धि के लिए तीन दिवसीय अनुष्ठान शुरू किया. सिक्किम के राजभवन में हुए इस आयोजन में राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य धर्मपत्नी कुमुद देवी मुख्य जजमान के रूप में शामिल हुए.

काशी के विद्वान पहुंचे सिक्किम राजभवन
काशी के विद्वान पहुंचे सिक्किम राजभवन (PHOTO credits ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 10:37 PM IST

वाराणसी: सिक्किम राज्य के धन-धान्य, सुख-समृद्धि की अभिवृद्धि और राष्ट्र की मंगलकामना के साथ राजभवन सिक्किम में विशेष अनुष्ठान शुरू हुआ है. त्रिदिवसीय शिवमंदिर पुनर्नवीकरण और सुंदरीकरण, नन्दीश्वर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शनिवार को पूरे विधि-विधान के साथ शुभारंभ हुआ. काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष डॉ नागेंद्र पाण्डेय के नेतृत्व में 8 सदस्यीय दल सिक्किम पहुंचा है. सिक्किम में 3 दिवसीय "सिक्किम काशी संस्कृति समागम" आयोजित होगा. जो काशी की संस्कृति को सिक्के में दर्शाने का काम करेगा.

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष डॉ. नागेंद्र पाण्डेय की अगुवाई में शनिवार को अनुष्ठान प्रारंभ हुआ. जिसमें राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य धर्मपत्नी कुमुद देवी मुख्य जजमान के रूप में शामिल हुए. इस अनुष्ठान में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर नागेंद्र पाण्डेय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय से प्रो. भगवत शरण शुक्ल, प्रोफेसर पतंजलि मिश्र, प्रोफेसर माधव जनार्दन राटाटे, प्रो नारायण प्रसाद भट्ट राई, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अनुपम दीक्षित, डॉ. मणि झा, डॉक्टर उत्तम ओझा, चार धाम नामची से पं. छबी लाल अधिकारी, पं. निर्मल गौतम, पं. पदम प्रसाद पोखरेल, पं. गंगाराम साप कोटा एवं तिब्बत रोड, गंगटोक के प्रसिद्ध गुरु दिवाकर प्रधान सिक्किम गए हैं.

इस आयोजन में सिक्किम और काशी की समृद्ध सांस्कृतिक संगम से पहले दिन की पूजा विधिवत संपन्न हुई. इस अनुष्ठान में विशेष रूप से गंगटोक के प्रसिद्ध गुरु दिवाकर प्रधान ने शिवमंदिर पुनर्नवीकरण में कई महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए मार्गदर्शन दिया. इस दौरान राज्यपाल ने सभी विद्वानों को को धन्यवाद दिया. महोत्सव के दौरान विभिन्न धार्मिक कार्य संपन्न किए गए. जिसमें गणपति पूजन, कलश पूजन, हवन, नवग्रह होम, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठान, मंत्र पुष्पांजलि आदि कार्यक्रम शामिल रहे. इस अवसर पर राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति रही.

इस अनुष्ठान का समापन 15 जुलाई को होगा. जिसमें विशेष पूजा और 'संस्कृत भाषा का विकास' पर संगोष्ठी आयोजित की जाएगी. इस संगोष्ठी में संस्कृत से संबंधित विश्विद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय स्तर के शिक्षको को आमंत्रित किया गया है.

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