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करनाल के जवान कृष्ण लाल का हार्ट अटैक से निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुई अंतिम विदाई - KARNAL SOLDIER KRISHNA LAL MARTYRED

करनाल का नौजवान ड्यूटी के समय हार्ट अटैक आने से शहीद हो गया. राजकीय सम्मान के साथ शहीद को विदाई दी गई.

Karnal soldier Krishna Lal martyred
Karnal soldier Krishna Lal martyred (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 26, 2025, 11:30 AM IST

Updated : Jan 26, 2025, 12:13 PM IST

करनाल:हरियाणा में करनाल के मुनक गांव का एक जवान ड्यूटी के दौरान हृदय गति रुकने से शहीद हो गया. आईटीबीपी के जवान शहीद हुए कृष्ण का पार्थिव शरीर उनके गांव में पहुंचा. परिवार और ग्रामीणों की आंखें नम हो गई. जब आइटीबीपी के जवान पार्थिव शरीर को लेकर गांव में पहुंचे. कृष्ण कई मेडल बॉर्डर फोर्स में जीत चुके थे.

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई: राजकीय सम्मान के साथ हुए अंतिम संस्कार में जहां आइटीबीपी के जवान मौजूद रहे, वहीं स्थानीय विधायक योगेंद्र राणा समेत जिला प्रशासन के अधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे. बेटे ने नम आंखों से अपने पिता को अंतिम विदाई दी. भारत माता की जय कारो से पूरा गांव गूंज उठा था. परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था.

हार्ट अटैक आने से निधन: जतन लाल आइटीबीपी के जवान ने बताया कि शहीद हुए कृष्ण पिछले 32 सालों से आइटीबीपी में अपनी सेवाएं दे रहे थे. वह 3 महीनों के बाद रिटायर होने वाले थे. करीब सात दिन पहले ही वह घर में छुट्टियां काटकर वापस अपनी ड्यूटी पर गए थे. वहां पर वह ड्यूटी के दौरान गश्त पर हार्ट अटैक आने से शहीद हो गए. उन्होंने देश के नाम पहले भी कई मेडल जीते हुए थे.

Karnal soldier Krishna Lal martyred (Etv Bharat)

अंतिम विदाई में पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी: इस समय वह अरुणाचल प्रदेश में अपनी ड्यूटी दे रहे थे. पार्थिव शरीर आज आइटीबीपी के जवानों द्वारा उनके गांव में लाया गया और राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. जहां पर जिला प्रशासन के लोग भी मौजूद रहे. इससे पहले कृष्णा लद्दाख में भी अपनी सेवा दे चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले ही वह घर से अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी पर वापिस लौटे थे. बेटे ने आज उनको अंतिम विदाई दी जहां पर परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था. सब ग्रामीणों की आंखें भी नाम देखने को मिली.

पिता को बेटे पर गर्व: पिता रामसिंह ने बेटे के शहीद होने पर कहा मेरे बेटे ने देश की सेवा की इसलिए मेरे बेटे पर मुझे भी गर्व है. जाने का दुख तो है, कृष्णा मेरे बड़े बेटे थे और अक्सर मुझे वह आकर लद्दाख के किस्से बताया करते थे. अक्सर जब भी छुट्टियों पर कृष्ण घर आते तो वह मेरे साथ बैठते थे. सुख दुख की बातें किया करते जब वह मसूरी में ड्यूटी पर थे. तब भी उसने मुझे अपने वहां बुलाते थे. चंबा में भी ड्यूटी के दौरान कृष्ण ने मुझे अपने पास बुलाया था. अपने बेटे की देश सेवा को देखकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा हुआ है.

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Last Updated : Jan 26, 2025, 12:13 PM IST

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