करनाल: हरियाणा में चुनाव के लिए कुछ ही समय रह गया है, ऐसे में करनाल लोकसभा सीट पर माहौल काफी गर्म होता दिखाई दे रहा है. जिसके चलते अब करनाल लोकसभा पर कांटे की टक्कर होगी. क्योंकि करनाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को प्रत्याशी बनाया गया है. तो वहीं, कांग्रेस पार्टी द्वारा युवा नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा पर दांव खेला गया है. लेकिन अब इन दोनों प्रत्याशियों के लिए मुश्किलों का दौर शुरू होता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि इंडिया गठबंधन से एनसीपी के तहत टिकट मांगने वाले वीरेंद्र मराठा अब एनसीपी की टिकट पर करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए अपनी ताल ठोक चुके हैं. वहीं उन्होंने अभय चौटाला से भी उनके लिए समर्थन मांगा है जिसके चलते अभय चौटाला ने अपना समर्थन देने की बात कह दी है.
कौन है वीरेंद्र मराठा ?:वीरेंद्र मराठा करनाल के झिझाड़ी गांव के रहने वाले हैं, जो रोड बिरादरी से संबंध रखते हैं. वीरेंद्र मराठा पूर्व में एचसीएस अधिकारी भी रह चुके हैं. उन्होंने कई वर्षों पहले नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा था और अपनी खुद की पार्टी एकता शक्ति बनाई थी. हालांकि वह कई चुनाव लड़े और लोकसभा सहित विधानसभा में भी उन्होंने अपने कई बार प्रत्याशी खड़े किए. वोट बैंक तो अच्छा मिला, लेकिन कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाए.
करनाल में है अच्छा जनाधार:करनाल लोकसभा सहित कई लोकसभा में रोड बिरादरी का अच्छा वोट बैंक है. सबसे ज्यादा वोट बैंक हरियाणा के करनाल लोकसभा में है. जहां करीब 2 लाख से ऊपर रोड बिरादरी की वोट है. वीरेंद्र मराठा रोड बिरादरी से आते हैं, जिसके चलते वह अब लोकसभा चुनाव में ताल ठोक चुके हैं. जिसके चलते भाजपा को नुकसान हो सकता है. क्योंकि पिछले चुनाव में रोड समाज के करीब 70% वोट भारतीय जनता पार्टी को मिली थी और अब यह वोट वीरेंद्र मराठा को मिलने वाली है.
करनाल में सबसे ज्यादा रोड बिरादरी: सबसे ज्यादा रोड बिरादरी करनाल और कुरुक्षेत्र लोकसभा में रहती है. ऐसे में वह राष्ट्रीय पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी से दोनों जगह पर एक-एक सीट अपने समाज के लिए मांग रही थी. लेकिन दोनों ही पार्टियों द्वारा उनके समाज के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दी गई. जिसके चलते उन्होंने दो दिन पहले ही करनाल धर्मशाला में एक पंचायत की. जिसके चलते उन्होंने निर्णय लिया कि वह भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों पार्टियों का बहिष्कार करेंगे और अपना उम्मीदवार उतारेंगे. जिसके चलते उन्होंने वीरेंद्र मराठा को चुना और उसको करनाल लोकसभा से सर्व सहमति से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया.