कानपुर : प्राइमरी और उच्च प्राइमरी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे अब अध्ययन के साथ-साथ लेखनी और कला में भी निपुण हो सकेंगे. कानपुर के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक शेखर यादव के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष नवाचार किया गया है. इस नवाचार के काफी बेहतर और सार्थक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बच्चों के लिए एक "बाल मन" नाम की पत्रिका निकाली है. जिसकी अब पूरे प्रदेशभर में जमकर सराहना की जा रही है. खास बात यह है कि उनकी इस पुस्तक का दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में विमोचन भी किया गया है.
ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान सहायक अध्यापक शेखर यादव ने बताया कि उनके द्वारा यह किताब "बाल मन" के नाम से निकाली गई है. इसमें 17 अलग-अलग जिलों के शिक्षकों को सम्मिलित करते हुए 62 बच्चों को रखा गया है. जिनके द्वारा लिखी गई कहानियों और कविताओं को इस किताब में समाहित किया गया है. उनका कहना है कि इस नवाचार का मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चों की जो मौलिक अभिव्यक्ति है वह बर्बाद न हो और वह अध्ययन के साथ-साथ लेखन व कला के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकें. इसको देखते हुए उनके द्वारा यह नवाचार किया गया है. नवाचार को हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ही किया है. जिसमें इस बात का जिक्र है कि बच्चों को उनके स्थानीय भाषा में ही पढ़ाया जाए. जिससे वह बेहतर सामंजस्य बना पाए और बच्चों में किसी भी तरह की असहज की स्थिति न उत्पन्न हो सके. इस नवाचार में हमने बच्चों की जो स्थानीय भाषा है. उन्हें उसी भाषा में ही कहानी व कविता को लिखने के लिए कहा जिससे बच्चे अध्ययन के अलावा लेखनी और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ सके और एक अलग मुकाम हासिल कर सकें.
बच्चों ने अपनी पसंदीदा कविता और कहानी को लेखनी के जरिए किया प्रस्तुतःसहायक शिक्षक शेखर यादव ने बताया कि उन्होंने बाल-मन पहले प्रत्येक माह के लिए प्लान की थी, लेकिन इसकी शुरुआत विशेष रूप से होनी थी. ऐसे में 17 जिलों के परिषदीय स्कूलों के 62 बच्चों को चयनित किया गया. इन बच्चों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में शिक्षक भी तय किया गया. इसमें बच्चों ने अपनी मौलिक अभिव्यक्ति कहानी के माध्यम से कविता के माध्यम से या फिर किसी स्थान पर जाकर उनके मन में जो भावनाएं उत्पन्न हुई हों यानी अच्छी और यादगार कहानी को अपनी भाषा में लिखने के लिए कहा गया. साथ ही उन्हें यह भी बता दिया गया था कि वह जो भाषा अपने घर में बोलते हैं उसी में अपना अनुभव लिखें और जब लेखन कार्य पूरा हो जाए तो वह उसे ही जुड़ी हुई आकृति भी बनाएं. बच्चे इस कार्य के जरिए काफी ज्यादा उत्साहित हुए इस बाल-मन किताब में उन्हीं सब बच्चों के अनुभव को साझा किया गया है. अब इस किताब का बच्चों और शिक्षकों के अलावा लोगों के बीच भी काफी अच्छा खासा रिस्पांस देखने को मिला है.