सहारनपुर: Lok Sabha Elections 2024: कैराना लोकसभा सीट का नाम जेहन में आते ही जहां पलायन मामला ताजा हो जाता है. वहीं हसन और हुकुम सिंह परिवारों का नाम भी खुद-ब-खुद जुबान पर आ जाता है. लंबे समय तक यहां की राजनीतिक विरासत इन दोनों परिवारों के ही इर्द-गिर्द घूमती रही है.
यहां हसन परिवार का मतलब चारों सदनों के सदस्य रहे मरहूम मुनव्वर हसन है. छात्र संघ चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में इन दोनों परिवारों का अच्छा-खासा दखल रहता था. शायद यही वजह है कि हसन परिवार से विधायक और सांसद चुने गए.
इस बात के चुनावी परिणाम गवाह हैं कि एन वक्त पर यहां मुद्दे मायने नहीं रखते, बल्कि ध्रुवीकरण हावी हो जाता है. इस बार हसन परिवार की इकरा हसन को INDIA गठबंधन की ओर से सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि बाबू हुकुम सिंह परिवार भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को समर्थन कर रहा है.
बाबू हुकुम सिंह भी कैराना सीट से विधायक और सांसद रह चुके हैं. उनके निधन के बाद भाजपा ने उनकी बेटी को चुनाव लड़ाया था लेकिन, हसन परिवार की तब्बसुम हसन से हार गई थीं.
कैराना लोकसभा सीट सन 1962 में अस्तित्व में आई थी. 70 के दशक में बाबू हुकुम सिंह ने सेना छोड़कर राजनीति में कदम रखा. 1974 में वह यहां से विधायक बने. हुकुम सिंह यहां से लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीते. 2014 में भाजपा ने हुकुम सिंह को लोकसभा का टिकट दिया.
मोदी लहर में उन्हें पांच लाख से ज्यादा वोट मिले. सपा के नाहिद हसन को उन्होंने करीब दो लाख वोटों से हराया. हुकुम सिंह के निधन के बाद उनकी बेटी मृगांका सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली. पार्टी ने 2018 लोकसभा उपचुनाव में उन्हें टिकट दिया, लेकिन वह गठबंधन की घेराबंदी से हार गई थी.
उधर, 70 के दशक में ही कैराना में हसन परिवार के अख्तर हसन का सियासी दबदबा था. अख्तर हसन कांग्रेस से सांसद रहे हैं. उनके पुत्र मुनव्वर हसन के नाम सबसे कम उम्र में लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा और विधान परिषद में पहुंचने का रिकॉर्ड बना. वह दो बार विधायक, दो बार सांसद और एक बार राज्यसभा और एक बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं.