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यासीन मलिक से जुड़े मामले की सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने खुद को किया अलग, जानिए क्या है पूरा मामला - YASIN MALIK CASE - YASIN MALIK CASE

Judge withdraws from hearing: जस्टिस अमित शर्मा ने यासीन मलिक मामले में सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को उस बेंच के समक्ष लिस्ट होगी जिस बेंच के सदस्य जस्टिस अमित शर्मा नहीं होंगे.

यासीन मलिक
यासीन मलिक (file photo)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 11, 2024, 1:08 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 2:00 PM IST

नई दिल्ली:अलगाववादी नेता यासीन मलिक से जुड़ी एनआईए की याचिका पर सुनवाई करने से एक जज ने खुद को अलग कर लिया है. ये मामला जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच में लिस्टेड था. अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को उस बेंच के समक्ष लिस्ट होगी जिस बेंच के सदस्य जस्टिस अमित शर्मा नहीं होंगे.

गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली एनआईए की अपील पर सुनवाई से जस्टिस अमित शर्मा खुद को अलग किया है. उन्होंने 2010 में एनआईए की ओर से बतौर अभियोजक काम किया था. इस वजह से मामले की सुनवाई से हटे हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है. इस आदेश के मुताबिक, यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. यासीन मलिक हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार हो चुका है.

इससे पहले, मलिक ने दावा किया था कि वह हृदय और किडनी की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं और उसे इलाज के लिए एम्स में स्थानांतरित किया जाए. पिछली सुनवाई पर अदालत ने जेल प्रशासन को मलिक के स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था. यासीन मलिक ने एम्स या जम्मू-कश्मीर के किसी निजी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रेफर करने का निर्देश देने की मांग की थी.

जवानों की हत्या में शामिल रहा है यासीन मलिक
बता दें कि, हाईकोर्ट ने एनआईए की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 मई 2023 को यासीन मलिक को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, "ट्रायल कोर्ट ने यासीन मलिक के ऊपर लगे आरोपो को सही पाया था. उन्होंने कहा था कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे. यह कानूनी रुप से सही नहीं है. उन्होंने कहा था कि एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगड़ने की कोशिश की."

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मेहता ने कहा था, "वह लगातार सशस्त्र विद्रोह कर रहा था. वो सेना के जवानों की हत्या में शामिल रहा, कश्मीर को अलग करने की बात करता रहा. उसके सहयोगियों ने तत्कालीन गृह मंत्री की बेटी रुबिया सईद का अपहरण किया. उसके बाद उसके अपहरणकर्ताओं को छोड़ा गया जिन्होंने बाद में मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम दिया. क्या यह दुर्लभतम मामला नहीं हो सकता. मेहता ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले मे मौत की सजा का भी प्रावधान है. ऐसे अपराधी को मौत की सजा मिलनी चाहिए.

कौन है यासीन मलिक

यासीन मलिक एक कश्मीरी अलगाववादी नेता है, जो भारत और पाकिस्तान दोनों से कश्मीर को अलग करने की वकालत करता है. वह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष है, जिसने मूल रूप से कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था. मई 2022 में, मलिक को आपराधिक साजिश और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए दोषी ठहराया गया. 25 मई 2022 को यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सनाई.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 2:00 PM IST

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