रांची: लोकसभा चुनाव की तिथि करीब आते ही राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. झारखंड में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं सभी एक-दूसरे पर छींटाकशी करती दिख रही हैं. शनिवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक के बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि बाहर से आए नेता झारखंड के मूलवासी और आदिवासियों को बदनाम करते हैं.
झामुमो ने भाजपा पर किया पलटवार
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने अजय आलोक के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए अजय आलोक ने यह बयान दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सलाहकार अभिषेक कुमार पिंटू के जान को खतरा है. उनके इस बयान को गलत बताते हुए जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अभिषेक कुमार पिंटू आज भी पार्टी कार्यालय में मौजूद थे और वह अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे.
सुप्रियो ने भाजपा की तुलना कंगारू से की
सुप्रियो ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगारू लक्ष्मण ने जो भ्रष्टाचार किया था उसके लिए उन्हें 4 साल की सजा हुई थी. यह बात अब भाजपा भूल गई है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा की कंगारू से तुलना करते हुए कहा कि जिस प्रकार कंगारू के पेट में थैला होता है उसी प्रकार भारतीय जनता पार्टी के पेट में भी थैला है. जहां वह भ्रष्टाचारियों को घुसा कर सुरक्षित रखते हैं. उन्होंने हेमंत बिश्व शर्मा , अजीत पवार, नारायण राणे, नवीन जिंदल का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेता कभी आवाज बुलंद करते थे, लेकिन आज यह सभी नेता भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी अब उनके पक्ष में बोलने लगी है.
आदिवासियों के पास क्या है यह अजय आलोक को बताने की आवश्यकता नहींः सुप्रियो
उन्होंने अजय आलोक के उस बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें यह कहा गया है कि आदिवासियों के पास 10 हजार रुपए तक नहीं हैं. अजय आलोक के इस बयान पर सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि एचईसी और रिम्स को बनाने वाले आदिवासी इंजीनियर ही हैं. उन्होंने कार्तिक उरांव का जिक्र करते हुए कहा कि कार्तिक उरांव उस जमाने में जर्मनी से इंजीनियरिंग की तकनीक सीख कर आए थे और कई बड़े भवनों का निर्माण भी कराया था. इसीलिए आदिवासियों के पास क्या है यह अजय आलोक को बताने की आवश्यकता नहीं है.
झारखंड को बनाने का काम यहां के मूलवासी और आदिवासियों ने किया