रांची:2014 का विधानसभा चुनाव यूपीए के साथ और 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने वाली नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड इस बार एनडीए में शामिल होकर चुनाव लड़ना चाहती है. ऐसे में झारखंड की राजनीति में यह कयास लगने लगा है कि बदली हुई राजनीतिक परिदृश्य में जदयू को झारखंड एनडीए में कितनी सीटें मिल सकती हैं. साथ ही वर्ष 2000 से 2024 तक झारखंड में जनता दल यूनाइटेड की कितनी ताकत बची है?
झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से जानने और समझने वाले वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौके पर चौका लगाना खूब जानते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी का जनाधार और राजनीतिक ताकत भले ही लगातार छिन्न हुई हो लेकिन उन्हें यह भी पता है कि भाजपा की केंद्र सरकार को उनके सहारे की जरूरत है. यही वजह है कि झारखंड में 11-12 सीट की दावेदारी ठोक दी है. पार्टी इस बार एनडीए में 12 सीटों की डिमांड भी इसलिए कर रही है ताकि सहयोगी भाजपा पर एक दबाव बना रहे.
राज्य में जदयू कमजोर नहीं: प्रदेश प्रवक्ता
जदयू के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता सागर कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारी पार्टी जदयू पूरी गंभीरता से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है, भले ही 2014 और 2019 विधानसभा चुनाव में खाता नहीं खुला हो लेकिन तब इसकी वजह कुछ और थी न कि संगठन का कमजोर होना. प्रदेश प्रवक्ता सागर कुमार ने बताया कि 2014 में पार्टी UPA के साथ मिलकर 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी. उस समय देश में प्रचंड मोदी लहर था, जिसका नुकसान जदयू को उठाना पड़ गया.