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'जादू' की तरह पढ़ाती हैं Mathematics, कमाल है बिहार की ये लेडी टीचर - SHOBHA SINGH

बिहार की ऐसी शिक्षिका की बात करने जा रहे हैं जो घरेलू जुगाड़ से बच्चो को गणित पढ़ाती है. जमुई से राजेश की रिपोर्ट

Jamui Teacher Shobha Singh
कमाल की है बिहार की लेडी टीचर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 20, 2025, 2:49 PM IST

जमुई: गणित कठिन विषय माना जाता है, क्योंकि इसके फॉर्मूले याद रखना आसान नहीं होता, लेकिन अगर इसे आसान बना दिया जाए तो छात्र कठिन से कठिन सवाल को आसानी से हल कर देते हैं. गणित विषय की चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज एक खास शिक्षिका के बारे में बताने जा रहे हैं.

क्यों चर्चा में हैं शोभा सिंह: जमुई के बरहट प्रखंड के कृत्यानंद उत्क्रमित उच्च विद्यालय की शिक्षिका शोभा सिंह इन दिनों चर्चा में हैं. ये छात्रों को खेल-खेल में गणित विषय इस तरीके से पढ़ाती हैं कि छात्र आसानी से समझ लेते हैं और कठिन से कठिन सवाल को चुटकी में हल कर देते हैं.

कमाल की है बिहार की लेडी टीचर (ETV Bharat)

घरेलू चीजों से गणित की पढ़ाई: शिक्षिका शोभा सिंह छात्रों को गणित पढ़ाने के लिए अलग-अलग पैरामीटर का इस्तेमाल करती है. क्लास में रस्सी, कागज की आकृति और चावल के दानों से बच्चों को पढ़ाती है. इसके साथ कई बार खेल मैदान में बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाती हैं.

खेल-खेल में पुल निर्माण की जानकारी: छात्रों को अभी से इंजनीयिरिंग की शिक्षा दे रही हैं. ईटीवी भारत की टीम जब शिक्षिका के क्लास में पहुंची तो शोभा सिंह छात्रों को समझा रही थी कि 'पुल निर्माण के दौरान उसका पिलर गोल क्यों रखा जाता है?' इसका उन्होंने उदाहरण दिया जो बच्चों को काफी पसंद आया.

बच्चों को पुल निर्माण की जानकारी देती शिक्षिका (ETV Bharat)

गिट्टी सीमेंट के बदले चावल: दरअसल, शिक्षिका कार्ड बोर्ड मोड़कर इससे वर्गाकार, गोलाकार, आयताकार और त्रिभुजाकार आकृति बनाती हैं. इसके बाद एक-एक कर सभी आकृति को टेबल पर खड़ा कर उसमें चावल डालती है जैसे सीमेंट, बालू और गिट्टी से पिलर बनाया जाता. फिर उस आकृति पर किताब का बंडल रखती है.

'इसलिए गोलकार पिलर बनता है': गोलाकार आकृति पर किताब के बंडल आसानी से टिक जाते हैं. अन्य आकृति कमजोर पड़ जाते हैं. शिक्षिका छात्रों को समझाने का प्रयास करती है कि, पुल बनाने के दौरान गोलाकार पिलर इसलिए बनाया जाता है ताकि पुल का भार थाम सके. छात्र इसे आसानी से समझ जाते हैं.

खेल-खेल में पुल निर्माण की जानकारी (ETV Bharat)

'खेल-खेल में पढ़ाई आसान':शिक्षिका बताती हैं कि बच्चों को खेल-खेल में पढाना आसान होता है. बच्चे अच्छे से समझ पाते हैं. इसके लिए हमलोगों को ट्रेनिंग भी दी गयी थी. खेल-खेल में विज्ञान पढ़ाने की ट्रेनिंग मिली हुई है. डेली लाइफ के प्रैक्टिकल को समझाया जाता है. पढ़ाने वाले शिक्षक होंगे तो सरकारी हो या प्राइवेट सभी के बच्चे बढ़ते हैं.

"आसान भाषा और प्रयोग कर छात्रों को समझाया जाए तो कठिन से कठिन विषय को बच्चे मजे से पढ़ते हैं. सीबीएसई और बिहार बोर्ड दोनों का एक ही सिलेबस है. बच्चों को प्रैक्टिकल ज्यादा समझ आता है. इसलिए अलग अलग इनोवेटिव आइडिया से पढ़ाया जाता है."-शोभा सिंह, शिक्षिका

बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका (ETV Bharat)

इनोवेशन रिकॉग्निशन अवॉर्ड: पढ़ाने के अनोखा तरीका के कारण राज्य सरकार के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. शिक्षिका के मार्गदर्शन में बच्चे कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. शिक्षिका के रचनात्मक कार्य के लिए इन्हें 'इनोवेशन रिकॉग्निशन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है.

इस संस्थान से ट्रेनिंग: इसके बारे में शिक्षिका बताती हैं कि आईआईएसईआर (Indian Institute of Science Education and Research) पुणे की ओर से इसके लिए सम्मानित किया गया था. इस संस्थान के द्वारा शिक्षक-शिक्षिकाओं को ट्रेनिंग दी जाती है ताकि बच्चों को इनोवेटिव आइडिया के माध्यम से पढ़ाया जा सके.

पढ़ाई से खुश हैं बच्चे (ETV Bharat)

पढ़ाई से खुश हैं बच्चे: शिक्षिका शोभा सिंह के पढ़ाने के तरीके से बच्चे भी खाफी खुश हैं. इटीवी भारत से बात करते हुए कक्षा 8 के मयंक कुमार बताते हैं कि उन्हें ''विज्ञान और गणित आसानी से समझ आ जाता है. मैडम के पढ़ाने का तरीका काफी अच्छा है. अन्य छात्र-छात्राएं भी शिक्षिका के तरीके को पसंद करते हैं.''

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