जयपुर. राजधानी जयपुर के रामनिवास बाग में पेड़ों को पानी देने के लिए तात्कालिक राजा सवाई रामसिंह ने मेहंदी के पेड़ों के बीच एक कुएं का निर्माण कराया था, जिसे कोई मेहंदी का कुआं कहता है तो कोई मेहंदी की कोठी. जयपुर के इतिहास को जानने वाले देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि रामनिवास बाग में मेहंदी के कुएं का पानी पेट के लिए इतना अच्छा था कि डॉक्टर और वैद्य मरीजों तक को यहां का पानी पीने की सलाह दिया करते थे. महाराजा माधो सिंह के समय जयपुर के सीएमओ रहे डॉ. डलजन सिंह खानकार ने तो अपच और पेचिश जैसे रोगों के लिए तो मेहंदी के कुएं के पानी को रामबाण इलाज बताया था.
उन्होंने बताया कि बरसों तक वहां ज्येष्ठ और वैशाख के महीने में प्याऊ लगा करती थी और इस पानी को पीने के लिए लोगों की कतार लगा करती थी. लोग यहां से एक-एक मटका पानी भी भर कर लेकर जाया करते थे. यही नहीं, राज परिवार के पास भी इस कुएं के पानी को तांबे, चांदी और पीतल के पात्रों में पैक करके पहुंचाया जाता था. यहां तक कि जयपुर के आयुर्वेदाचार्य स्वामी लच्छीराम का तो ये तक कहना था कि आयुर्वेद के हिसाब से जिस पानी में सबसे ज्यादा खनिज हो और वो हल्का हो, तो ऐसा पानी पेट के लिए सबसे अच्छा होता है. यही खासियत मेहंदी के कुएं के पानी की थी.