जबलपुर।शहर में साफ-सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है.यहां सफाई कर्मचारियों के नाम पर एक दिन नहीं बल्कि रोज घोटाला होता है. नेता से लेकर अधिकारी और ठेकेदार सभी डाका डालते हैं. जबलपुर की नवनियुक्त कमिश्नर प्रीति यादव ने घोटाला खोला और सफाई करने वाली 5 कंपनियों के खिलाफ 13 लाख का जुर्माना लगाया है.
कैसे होता है घोटाला
जबलपुर नगर निगम में 80 वार्ड हैं. हर वार्ड में रोज 40 कर्मचारी सफाई करने के लिए जाते हैं, इस तरीके से पूरे जबलपुर में रोज की सफाई में 3200 कर्मचारी की तनख्वाह नगर निगम के खजाने से निकलती है. लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला होता है. 40 कर्मचारियों की बजाय मौके पर ज्यादा से ज्यादा 15 कर्मचारी रहते हैं.बाकी हर वार्ड से 25 सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह का घोटाला होता है. इसी की वजह से जबलपुर में गंदगी का आलम खत्म नहीं हो रहा है.
भ्रष्टाचार में सभी शामिल
बताया जाता है कि इस भ्रष्टाचार में सभी शामिल हैं. पहले ही कर्मचारी कम भेजे जाते हैं और जो कर्मचारी नहीं आते उनका भी पैसा निकाला जाता है और इस पैसे में हिस्सा बांट होता है. इसमें वार्ड पार्षद, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और ठेकेदार सभी लोग शामिल होते हैं.ये घोटाला कई सालों से यूं ही चला आ रहा है और शहर में गंदगी पसरती जा रही है.सफाई रोज होती है लेकिन दिखावे और खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं.
ठेके पर रखे हैं सफाई कर्मचारी
नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है इसलिए नगर निगम जबलपुर में सफाई कर्मचारियों को ठेके पर लिया हुआ है.जबलपुर में मां नर्मदा सफाई संरक्षक, अल्ट्रा क्लीन एंड केयर सर्विसेस, बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेस, और आर. प्रियांशी कं. एंड फैसिलिटी नाम की कंपनियां ठेका कर्मचारी मुहैया करवाती हैं. रोज सुबह 7:30 बजे हर वार्ड के 35 से 40 कर्मचारी एक स्थान पर इकट्ठे होते हैं उनकी फोटो खींची जाती है. इस फोटो को स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दिया जाता है. इसके बाद इन सभी कर्मचारियों की उपस्थित अटेंडेंस रजिस्टर में लिखी जाती है और इसे बाद में नगर निगम के उच्च अधिकारियों को पहुंचा दिया जाता है. सुबह 8:00 तक जबलपुर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और निगम आयुक्त को इस बात की जानकारी होती है की शहर में किस वार्ड में कितने सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं.