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जबलपुर में सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला, निगम कमिश्नर ने लगाया 13 लाख रुपये का जुर्माना

Big scam in city Cleaning Jabalpur: जबलपुर शहर में सफाई के नाम पर रोज घोटाला होता है और जो लाखों रुपये बचता है उसका बंदरबांट होता है. नवागत निगम कमिश्नर ने सफाई कंपनियों पर 13 लाख का जुर्माना लगाया है.पढ़िये कैसे होता है ये घोटाला.

Big scam in city Cleaning
सफाई के नाम पर जबलपुर में बड़ा घोटाला

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 27, 2024, 9:53 PM IST

कमिश्नर ने लगाया 13 लाख का जुर्माना

जबलपुर।शहर में साफ-सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है.यहां सफाई कर्मचारियों के नाम पर एक दिन नहीं बल्कि रोज घोटाला होता है. नेता से लेकर अधिकारी और ठेकेदार सभी डाका डालते हैं. जबलपुर की नवनियुक्त कमिश्नर प्रीति यादव ने घोटाला खोला और सफाई करने वाली 5 कंपनियों के खिलाफ 13 लाख का जुर्माना लगाया है.

कैसे होता है घोटाला

जबलपुर नगर निगम में 80 वार्ड हैं. हर वार्ड में रोज 40 कर्मचारी सफाई करने के लिए जाते हैं, इस तरीके से पूरे जबलपुर में रोज की सफाई में 3200 कर्मचारी की तनख्वाह नगर निगम के खजाने से निकलती है. लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला होता है. 40 कर्मचारियों की बजाय मौके पर ज्यादा से ज्यादा 15 कर्मचारी रहते हैं.बाकी हर वार्ड से 25 सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह का घोटाला होता है. इसी की वजह से जबलपुर में गंदगी का आलम खत्म नहीं हो रहा है.

भ्रष्टाचार में सभी शामिल

बताया जाता है कि इस भ्रष्टाचार में सभी शामिल हैं. पहले ही कर्मचारी कम भेजे जाते हैं और जो कर्मचारी नहीं आते उनका भी पैसा निकाला जाता है और इस पैसे में हिस्सा बांट होता है. इसमें वार्ड पार्षद, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और ठेकेदार सभी लोग शामिल होते हैं.ये घोटाला कई सालों से यूं ही चला आ रहा है और शहर में गंदगी पसरती जा रही है.सफाई रोज होती है लेकिन दिखावे और खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं.

ठेके पर रखे हैं सफाई कर्मचारी

नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है इसलिए नगर निगम जबलपुर में सफाई कर्मचारियों को ठेके पर लिया हुआ है.जबलपुर में मां नर्मदा सफाई संरक्षक, अल्ट्रा क्लीन एंड केयर सर्विसेस, बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेस, और आर. प्रियांशी कं. एंड फैसिलिटी नाम की कंपनियां ठेका कर्मचारी मुहैया करवाती हैं. रोज सुबह 7:30 बजे हर वार्ड के 35 से 40 कर्मचारी एक स्थान पर इकट्ठे होते हैं उनकी फोटो खींची जाती है. इस फोटो को स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दिया जाता है. इसके बाद इन सभी कर्मचारियों की उपस्थित अटेंडेंस रजिस्टर में लिखी जाती है और इसे बाद में नगर निगम के उच्च अधिकारियों को पहुंचा दिया जाता है. सुबह 8:00 तक जबलपुर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और निगम आयुक्त को इस बात की जानकारी होती है की शहर में किस वार्ड में कितने सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं.

जबलपुर नगर निगम कमिश्नर प्रीति यादव

13 लाख का लगाया जुर्माना

आंकड़ों में यह सब ठीक दिखता है व्यवस्था भी सही है लेकिन ऐसा होता नहीं है, मौके पर रोज कर्मचारी कम ही रहते हैं लेकिन अटेंडेंस सभी की जाती है.जबलपुर नगर निगम में अभी तक स्वप्निल वानखेड़े कमिश्नर थे उनके हिसाब से सब कुछ सही चल रहा था लेकिन बीते दिनों उनका ट्रांसफर हुआ और प्रीति यादव जबलपुर नगर निगम की कमिश्नर बनकर आई हैं. उन्हें इस बात की भनक लगी कि यह घोटाला हो रहा है तो उन्होंने सफाई करने वाली सभी कंपनियों के खिलाफ जुर्माना लगा दिया है. अलग-अलग कंपनियों को लगभग 13 लाख रुपये का जुर्माना नगर निगम को देना होगा.

किस पर कितना जुर्माना

निगमायुक्त श्रीमती प्रीति यादव ने मां नर्मदा सफाई संरक्षक के ऊपर 1 लाख 45 हजार 8 सौ 61 रूपये, अल्ट्रा क्लीन एण्ड केयर सर्विसिस नेपियर टाउन के ऊपर 2 लाख 04 हजार 7 सौ 11 रूपये, बर्फानी सिक्योंरिटी सर्विस नेपियर टाउन जबलपुर के ऊपर 5 लाख 43 हजार 8 सौ 12 रूपये, एवं आर. प्रियांसी कं. एंड फैसिलिटी के ऊपर 4 लाख 5 सौ 93 रूपये की पेनाल्टी लगाई है.

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EPF और ESI का घोटाला

जबलपुर के जयप्रकाश वार्ड में सफाई कर रही महिला सफाई कर्मचारियों से हमने बात की उनका कहना था कि उनका epf और esi नहीं काटा जाता बल्कि जिस दिन ठेकेदार को जरूरत होती है केवल उसी दिन वह काम पर बुलाता है और रोज के हिसाब से मात्र ढाई सौ रुपए का भुगतान करता है. जबकि इन कर्मचारियों की दैनिक मजदूरी 380 रुपये मिलनी चाहिए और नियम से उनकी भविष्य निधि और कर्मचारी राज्य बीमा होना जरूरी है. बिना इसके ठेकेदार का भुगतान नहीं होना चाहिए लेकिन इन सभी नियमों को दरकिनार करके ठेकेदारों का भुगतान हो रहा है.

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