पटवाटोली में इंजीनियर भैया की पहल गया: बिहार के गया का मानपुर पटवाटोली में पावरलूम के खट-खट की आवाज चारों पहर गूंजती रहती है. यहां हैंडलूम हो या पावर लूम इनके चलने का सिलसिला नहीं थमता. खट-खट की आवाज के बीच इस पटवाटोली से सैकड़ों छात्र इंजीनियर बन चुके हैं. आज पटवाटोली की पहचान आईआईटियन की नगरी के रूप में होती है. पिछले तीन दशकों में बुनकरों की इस बस्ती ने सैकड़ों इंजीनियर दिए. अब यह इंजीनियर छोटे बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ एक्टिविटी सेंटर स्टार्ट कर साइंटिस्ट बनने की राह दिखा रहे हैं. यही वजह है कि प्रोजेक्ट वर्क कर बच्चों ने कई डिवाइस तैयार की है. जिसमें बच्चों ने आग से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने वाली एक डिवाइस भी तैयार की है. कचरे को जलाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट किया जा रहा है.
आईआईटियन की नगरी है पटवाटोली: पटवाटोली बुनकरों की बस्ती है, लेकिन अब इसकी पहचान आईआईटियन की नगरी के रूप में होती है. बुनकरों की इस बस्ती में पावर लूम- हैंडलूम 24 घंटे चलते हैं. खट-खट की आवाज चारों पहर होती है, लेकिन इस आवाज से बिना विचलित हुए इस पटवा टोली के छात्र लगातार इंजीनियर बन रहे हैं. हर वर्ष पटवा टोली से छात्र सफल होकर इंजीनियर बनते हैं. इसका सिलसिला जारी है, लेकिन अब एक बड़ी पहल हो रही है. यहां सफल होने वाले छात्र इंजीनियर बनकर अब छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं. इस तरह नौनिहालों की पौध को सींचने की एक बड़ी पहल अपना भविष्य संवार चुके इंजीनियरों के द्वारा की जा रही है.
आग से इलेक्ट्रिक बनाने की डिवाइस छुट्टियों का सदुपयोग : पटवाटोली के रहने वाले सैकड़ों छात्र आज इंजीनियर हैं. भारत समेत विभिन्न 18 देश में उनकी नौकरियां है. इंजीनियर बन चुके यह छात्र अपने कर्मभूमि को नहीं भूले हैं. अपना लक्ष्य पाने के बावजूद ये जब भी छुट्टियों में पटवा टोली आते हैं, तो छोटे-छोटे बच्चों के लिए एक्टिविटी सेंटर स्टार्ट करते हैं. इस एक्टिविटी सेंटर में सफल इंजीनियरों के द्वारा बच्चों को ऐसा कुछ सिखाया जाता है, कि आगे चलकर भी कमाल कर सकें और यह अब दिखने भी लगा है. इसका उदाहरण के तौर पर सातवीं और आठवीं कक्षा के कई छात्रों ने विभिन्न प्रोजेक्टों पर वर्क किया है और कई डिवाइस तैयार की है.
इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने वाली डिवाइस : बाहर रहने वाले इंजीनियर छुट्टियों में जब घर आते हैं और ये सभी एक्टिविटी सेंटर में तरह-तरह की ट्रेनिंग देते हैं. इसमें किताब कॉपी की पढ़ाई के साथ-साथ अन्य क्षेत्र यानी कि साइंटिस्ट के क्षेत्र की भी ट्रेनिंग दे रहे हैं. यही वजह है, कि यहां के पटवाटोली के छोटे-छोटे छात्रों ने आग से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने की डिवाइस तैयार की है. इसमें खासियत यह है कि कचरे के रूप में जलाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट किया जा रहा है.
ऐसी एक डिवाइस तैयार की गई है, जिसमें डाय बोर्ड, सोलर, बैटरी, स्विच, एलईडी बल्ब समेत अन्य उपकरणों का उपयोग किया गया है. इसमें इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने के लिए वेस्ट मटेरियल का यूज किया जाएगा. इस डिवाइस में कागज, लकड़ी या अन्य जलने वाले कचरे को जलाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट किया जा रहा है. उससे एलईडी बल्ब जलता है. इंजीनियरों की ट्रेनिंग के बाद आकाश कुमार नाम के छात्र ने यह कमाल कर दिखाया है.
''जब हम आग जलते हैं तो सोलर इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट कर देता है और बैटरी चार्ज हो जाती है. इससे हम एलईडी बल्ब जला लेते हैं. यदि हम इस तरह का उपयोग बड़े पैमाने पर करें तो काफी इलेक्ट्रिसिटी कन्वर्ट कर सकते हैं.''- आकाश कुमार, छात्र
आग से इलेक्ट्रिक बनाते बच्चे वृक्ष संस्था चलाती है एक्टिविटी सेंटर: मानपुर पटवा टोली में वृक्ष संस्था चलती है. इस संस्था में बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है. यहां पढ़कर कई इंजीनियर बने हैं और अब यहां छोटे बच्चों के लिए स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर स्टार्ट किया गया है. स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर में सफल होकर इंजीनियर बने छात्र जब भी छुट्टियों में आते हैं तो इस एक्टिविटी सेंटर को संचालित करते हैं. वृक्ष के चंद्रकांत पटवा, रंजीत कुमार बताते हैं कि हमारे छोटे-छोटे बच्चे जो सातवीं और आठवीं कक्षा के हैं, वह कमाल कर रहे हैं और कई प्रोजेक्ट पर काम कर डिवाइस तैयार कर रहे हैं. यह पटवा टोली में पढ़कर सफल इंजीनियर बने छात्रों के द्वारा एक्टिविटी सेंटर की ट्रेनिंग से संभव हो पा रहा है.
लेजर अलार्म डिवाइस और रोबोट: पटवा टोली में सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्र आग से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने के प्रोजेक्ट के साथ-साथ अन्य पर भी काम कर रहे हैं. इसी प्रकार शालीन नाम के छात्र ने रोबोट तैयार किया है, जो चलता है. इसमें एआई समेत कई उपकरण को कनेक्ट किया गया है. इस पर अभी काम चल रहा है. यह भविष्य में प्रश्न पूछने पर बोलेगा, इस मॉडल से तैयार किया जा रहा है. इसी प्रकार जीवन कुमार नाम के छात्र ने लेजर अलार्म सिस्टम पर काम किया है. इसे मिरर से कनेक्ट रखा गया है. लेजर अलार्म सिस्टम की खासियत यह होगी कि जब भी कोई अनजान व्यक्ति या चोर घर में कदम रखेंगा तो लेजर के तरंग से गुजरते ही अलार्म अपने आप बजने लगेगा. इसी प्रकार कुछ बच्चे आदित्य एल 1 जैसे प्रोजेक्ट पर भी अपना हुनर दिखा रहे हैं.
'इंजीनियर भैया कर रहे मदद' : वहीं, इस संबंध में छोटे बच्चे आकाश कुमार, जीवन कुमार, आयुष कुमार, शालीन कुमार बताते हैं कि इंजीनियर भैया हमारी मदद कर रहे हैं. हम लोग सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्र हैं. स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर यहां चलता हैं. जब भी छुट्टी में आते हैं तो स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर शुरू हो जाता है और उस कीमती समय में हम लोग ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसकी सराहना होती है. ऐसे में कम उम्र से ही हमारे मन में कुछ कर गुजरने का माद्दा आने लगा है. हम लोग विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगे.
पढ़ाई करते पटवा टोली के छोटे-छोटे बच्चे छुट्टियों का करते हैं उपयोग : इस संबंध में वृक्ष संस्था के चंद्रकांत बताते हैं कि ''इंंजीनियर बने छात्र बड़ी पहल कर रहे हैं. यह जब भी छुट्टियों में पटवा टोली आते हैं तो वृक्ष संस्था में आकर स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर स्टार्ट करते हैं, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को विभिन्न प्रोजेक्ट पर वर्क कराया जाता है, तो इस तरह किताब किताबी पढ़ाई के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों को अन्य क्षेत्रों के संबंध में भी स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर के माध्यम से जानकारियां दी जा रही है. छोटे-छोटे बच्चे जो हैं, वह कमाल कर रहे हैं. इन्होंने आग से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने वाला डिवाइस भी तैयार किया है. इस तरह के कई प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहे हैं.
''जब भी छुट्टी मिलती है, वह पटवा टोली आते हैं और छोटे-छोटे बच्चों को एक्टिविटी सेंटर में पढ़ाते हैं. उनकी कोशिश है, कि छोटे-छोटे बच्चे अभी से ही अपने लक्ष्य के प्रति मजबूत हों. वह अलग-अलग चीजों पर काम करते हैं. आगे भविष्य में जिस क्षेत्र में भी रुचि होगी, उसमें लक्ष्य प्राप्त करने में कोई दिक्कतें नहीं आएगी.''- आशुतोष, मैकेनिकल इंजीनियर
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