इंदौर:देश के तमाम शहरों में भीख मांगने का धंधा अब अंतर्राज्यीय कारोबार बन चुका है. यही वजह है कि हर साल राजस्थान के पाली समेत भरतपुर और अन्य इलाकों से सैकड़ों की तादात में भिखारी लाखों का कारोबार करने मध्य प्रदेश का रुख करते हैं. यह पहला मौका है भिक्षुक मुक्त शहर होने के कारण राजस्थान के विभिन्न ग्रामीण इलाकों से भिक्षावृत्ति करने के लिए इंदौर पहुंचे भिक्षुकों को उल्टे पैर अब अपने गांव लौटना पड़ रहा है.
भिखारियों को वापस भेजा गया राजस्थान
गुरुवार को इंदौर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए भिखारी को चिन्हित कर उन्हें राजस्थान भेजा है. शेष भिखारियों को भी जल्द अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. दरअसल, देश के स्वच्छ शहर इंदौर को केंद्र सरकार द्वारा भिक्षुक मुक्त योजना में शामिल किया गया है. इसके अलावा इंदौर जिला प्रशासन ने भी शहर के सभी भिखारियों को स्वावलंबन के जरिए कोई ना कोई काम धंधा शुरू करने की पहल की थी. लेकिन अधिकांश भिक्षुक सिर्फ भीख मांगना चाहते हैं.
अधिकांश भिखारी राजस्थान के रहने वाले
जब उनकी पड़ताल की गई तो पता चला अधिकांश भिखारी राजस्थान के हैं, जो पैत्रक रूप से भिक्षावृत्ति करते हैं. ऐसे भिखारियों को उज्जैन के सेवा धाम आश्रम भेजा गया, लेकिन वह वहां भी नहीं रहना चाहते. लिहाजा अब इन भिखारियों को अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. गुरुवार को कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजस्थान से आकर इंदौर में साधुओं का वेश बनाकर भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों को चिन्हित कर पुनः राजस्थान भेजने की कार्रवाई की गई.