चमोली: उत्तराखंड में कीवी के उत्पादन से काश्तकारों की आय मजबूत होने लगी है. खास बात है कि उत्तराखंड को कीवी के लिए खासी डिमांड मिल रही है. प्रदेशभर के कई काश्तकार कीवी की खेती से आमदनी बढ़ा रहे हैं. वर्तमान में चमोली जिले में अकेले 810 काश्तकार कीवी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं. साल 2023 में जिले के काश्तकारों ने 20 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर 6 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की थी.
उद्यान विभाग के सहायक विकास अधिकारी रघुवीर सिंह राणा ने बताया कि चमोली में वर्ष 2021-22 में राज्य सेक्टर की योजना के तहत 725 काश्तकारों के साथ कीवी के 7000 पौधों का रोपण किया गया. जिसके बाद कीवी की मांग और उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने अनटाइड फंड से साल 2022-23 में 60 काश्तकारों को 2085 और वर्ष 2023-24 में वर्तमान तक मिशन कीवी अभियान के तहत 26 काश्तकारों को कीवी के पौधे आवंटित किए हैं. जबकि 54 काश्तकारों की ओर से कीवी के पौधों के लिए आवेदन किया गया है.
100 क्विंटल का लक्ष्य: उन्होंने बताया वर्ष 2023-24 में जिले के कीवी उत्पादक काश्तकारों की ओर से स्थानीय स्तर पर 20 क्विंटल कीवी उत्पादन से 6 लाख रुपए की आय अर्जित की गई. वर्तमान में जिले के नैल-नौली, मंडल, बैरागना, बणद्वारा, कोटेश्वर, रौली-ग्वाड़, सरतोली, पैनी परसारी और थराली क्षेत्र में 810 कातश्कारों की ओर से कीवी का उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस साल जिले में 40 क्विंटल कीवी उत्पादन का अनुमान है. साल 2025 तक यह उत्पाद 100 क्विंटल से अधिक पहुंच जाएगा.
क्या कहते हैं काश्तकार:काश्तकार महावीर सिंह का कहना है कि कीवी के उत्पादन से बेहतर आय प्राप्त हो रही है. वहीं इसके उत्पादन से कम मेहनत में बेहतर फसल प्राप्त होती है. इसके फल को बंदर और लंगूर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे कीवी के उत्पादन में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है. कीवी के औषधीय गुणों के चलते बाजार में बेहतर मांग है. जो काश्तकारों के लिए लाभकारी साबित होगा.