नई दिल्ली: हरियाणा चुनाव में जीत की हैट्रिक से दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली बीजेपी को संजीवनी मिलना तय है. हरियाणा चुनाव के परिणाम के बाद अब दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संबंधों पर भी असर पड़ना तय है, क्योंकि हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन ना करके अलग चुनाव लड़ा था. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल, उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और तमाम नेताओं ने पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंकी और सभी सीटों पर कुछ न कुछ नुकसान कांग्रेस को पहुंचाया है. जबकि भाजपा को इसका फायदा हुआ.
दिल्ली में फरवरी माह में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में मात्र चार महीने का समय ही दिल्ली के विधानसभा चुनाव में शेष है. अब हरियाणा में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की जीत से दिल्ली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता पूरे उत्साह के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे. वहीं, कांग्रेस को कहीं ना कहीं हरियाणा के चुनाव परिणामों ने निराश किया है.
जब आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया था उस समय ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और कांग्रेस के दो बार सांसद रहे संदीप दीक्षित ने केजरीवाल पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि केजरीवाल को जमानत इसलिए दी गई है ताकि हरियाणा में पूरी ताकत से चुनाव लड़े और भाजपा को फायदा पहुंचाएं. मनीष सिसोदिया और केजरीवाल दोनों के जमानत मिलने को संदीप दीक्षित ने हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाने से जोड़ते हुए बयान दिया था.