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इस दिन होगा सराज घाटी के बड़ा देव मतलोड़ा का होम, भगवान विष्णु के हैं स्वरूप! - DEVTA MATLODA HOM

सराज के सबसे बड़े देवता देव मतलोड़ा के होम का दिन तय हो गया है. देवता 21 अक्टूबर को देव कांडा के लिए रवाना होंगे.

देव मतलोड़ा के रथ को प्रणाम करेत लोग
देव मतलोड़ा (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 2:52 PM IST

सराज:सराज घाटी के अराध्य बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम जिसे जाग के नाम से भी जाना जाता है. इसका आयोजन 20 अक्टूबर की रात और 21 अक्टूबर को होगा. कार्तिक सक्रांति को ज्योतिष गणना के अनुसार देवता के होम के आयोजन का फैसला होता है.

सोमवार 21 अक्टूबर को सुबह करीब सवा 5 बजे देव मतलोड़ा का देवरथ हर साल की भांति इस बार भी मूल कोठी च्यौठ से अपने सात हार एवं अपने कारकरिंदों के साथ देव कांडा के लिए रवाना होगा. भव्य जलेब के साथ देव मतलोड़ा का रथ दो घंटे में मूल स्थान देव कांडा खरसू पहुंचेगा. यहां देवता लोगों की समस्यओं का निवारण करेंगे. साथ ही मूल स्थान देव कांडा में ही देवता के रथ का फूल मालाओं और गहनों के साथ श्रृंगार किया जाएगा.

देव मतलोड़ा का रथ (ETV BHARAT)

सालों पुरानी परंपरा है देव होम

बता दें कि देवता मतलोड़ा का होम वर्षों पुरानी परंपरा है. साथ ही हर तीसरे साल के बाद शुद्धि के लिए गोदान किया जाता है. देव मतलोड़ा के पुजारी पंडित टिके राम शर्मा ने बताया कि, 'विश्व शांति और आम जनमानस देवता के भक्तजनों पर कोई विपदा न आए इसके लिए हर तीसरे साल देव मतलोड़ा के मूल स्थान देव कांडा खरशू में गौदान किया जाता है.'

देव मतलोड़ा का रथ (ETV BHARAT)

एक दिन में होते हैं सैकड़ों मुंडन

देवता के होम में सैकड़ों मुंडन किए जाते हैं. ये इसकी खास विशेषता है. इस बार मुंडन देवता के मूल स्थान पर 21 अक्टूबर सोमवार को किए जाएंगे. देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि होम की पहले से ही तैयारियां पूरी ली गई हैं. जिला मडी और कुल्लू जिला के लोगों की विष्णु स्वरूप देव मतलोड़ा के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है. देव मतलोड़ा सराज और मण्डी जिला के एक मात्र देवता हैं, जिन्हें 7 हारो मे बांटा गया है, इसमें 40 ग्राम पंचायतों के करीब 8 हजार से ज्यादा परिवार उनके हारियन में शामिल हैं.

धन-दौलत में भी सबसे अग्रणी माने जाते हैं देवता

गौरतलब है कि बड़ा देव श्री विष्णु मतलोड़ा के प्रति लोगों की गहरी आस्था है जिस कारण सराज ही नहीं बल्कि जिले के अन्य देवी-देवताओं में बड़ा देव धन-दौलत में भी सबसे अग्रणी माने जाते हैं. जब भी देवता से देव कार्य या रथ के निर्माण के प्रति आदेश प्राप्त होते हैं तो कोई भी कारदार और हरियान उन आदेशों को कभी नहीं मोड़ते हैं. जिसका जीता-जागता प्रमाण यह है कि आज इस कलयुग के दौर में देवता का पूरा देव रथ सोने से जड़ित है.

देव मतलोड़ा का रथ (ETV BHARAT)

इस रथ पर करीब 4 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है. इसके अलावा कोठी में देवता का आसन कई किलो चांदी से निर्मित करवाया गया है. देवता की आय के साथ सराज क्षेत्र की 23 पंचायतों (सात हार) के हजारों लोगों ने अपने देवता के नए रथ निर्माण हेतु प्रबंधन कमेटी को अपनी स्वेच्छा से धनराशि दान की है.

देवता ने महिला की सहायता से किया था दैत्य का वध

महाभारत युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र से देव विष्णु देव मतलोड़ा द्रंग, मंडी व घासनू होते हुए भाटकीधार पहुंचे थे जहां बालक रूप में पहुंचे देवता का सामना एक दैत्य से हो गया. दैत्य को ब्रह्मा का वरदान था कि तय नियमों के क्वच को तोड़े बिना कोई भी शक्ति आपका वध नहीं कर सकती है लेकिन सृष्टि निर्माता भगवान विष्णु दैत्य को मिले वरदान और उसकी मौत से परिचित थे. देव विष्णु रूपी मतलोड़ा ने एक महिला की सहायता से दैत्य का संहार कर दिया जिससे लोगों ने दैत्य के आतंक से छुटकारा पा लिया. तब से लेकर सराज में देव मतलोड़ा को बड़ा देव के रूप में मानते आ रहे हैं. आज भी देवता की प्रमुख पूजा के दौरान महिला का सहयोग और मौजूदगी को शुभ माना जाता है.

भगवान विष्णु का स्वरूप हैं देव मतलोड़ा

देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि, 'बड़ा देव मतलोड़ा विष्णु भगवान का रूप हैं, जिला के सबसे ज्यादा भूमि के मालिक देव मतलोड़ा की पहले 14 हारें थी, जिसमे कि कुच्छ हार कुल्लू जिला से थीं. कुछ साल पहले देवता की 7 हारियों के कारदारों ने शिकावरी में अलग से दूसरे रथ का निमार्ण करवाया था. उन्होंने भी अपने देवता का नाम शिकारी मतलोड़ा रखा है.'

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