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राजस्थान के इस गांव में जलाई जाती है नारियलों की होली, आदिवासी मानते हैं होलिका को बेटी - Holi 2024 - HOLI 2024

राजस्थान के सलूंबर जिले में नारियलों की होली मनाई जाती है. यहां होलिका दहन के समय नारियल जलाएं जाते हैं. आदिवासियों का मानना है कि होलिका इसी इलाके की रहने वाली थी. इसी वजह से आदिवासियों के बीच होलिका को विदाई देने के लिए नारियल यानी श्रीफल भेंट किए जाते हैं.

HOLI OF COCONUTS IN SALUMBER
राजस्थान के सलुंबर में जलाई जाती है नारियलों की होली

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 24, 2024, 10:48 AM IST

उदयपुर. देश में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. राजस्थान में होली का पर्व अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है. ऐसी ही एक परंपरा दक्षिणी राजस्थान में भी देखने को मिलती है. सलूंबर जिले के सेमारी में करकेला धाम की नारियल वाली होली लोगों को लंबे समय से आकर्षित करती रही है. करकेला धाम में नारियल से होली खेलने की परंपरा है. यहां बरसाने की लठमार होली की तरह नारियल को एक-दूसरे पर मारकर होली नहीं खेली जाती है. करकेला धाम में लोग होलिका को नारियल भेंट कर होली मनाते हैं.

आदिवासियों का धार्मिक स्थान है करकेला धाम : सलूंबर के सेमारी कस्बे की धनकावाड़ा ग्राम पंचायत से करीब डेढ़ किमी की दूरी पर स्थित करकेला धाम को आदिवासियों का पवित्र धार्मिक स्थान माना जाता है. स्थानीय आदिवासियों की मान्यताओं के अनुसार, होलिका को अपनी बेटी के तौर पर देखा जाता है. करकेला धाम एक पहाड़ी पर स्थित है. करकेला धाम में सबसे पहले होली जलाई जाती है. धाम के पहाड़ी पर होने की वजह से दूर से ही होलिका दहन दिख जाता है. इसके बाद ही आस-पास के इलाकों में होली जलाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले करकेला धाम में ही होली जलनी चाहिए. यहां होली दहन के बाद उठने वाली आग की लपटें देख लोग होली जलाने की तैयारी करते हैं.

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होलिका को दी जाती है नारियल की भेंट :यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि आदिवासी लोगों की मान्यता है कि पहाड़ पर स्थित करकेला धाम के पास ही होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर आग में बैठी थी. भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए लीला रची, जिसके चलते आग में होलिका जल गई और प्रहलाद बच गए. आदिवासियों का मानना है कि होलिका इसी इलाके की रहने वाली थी. इसी वजह से आदिवासियों के बीच होलिका को विदाई देने के लिए नारियल यानी श्रीफल भेंट किए जाते हैं. करकेला धाम में होलिका के साथ ही यहां नारियलों की होली जलाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति होलिका को नारियल भेंट कर कोई मन्नत मांगता है तो वो जरूर पूरी होती है. करकेला धाम में धूनी भी लगातार जलती रहती है.

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