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लोकसभा चुनाव 2024: दुमका लोकसभा सीट से शिबू सोरेन ने 8 बार दर्ज की जीत, जानिए क्या है इस सीट का इतिहास - दुमका लोकसभा सीट का इतिहास

दुमका लोकसभा सीट को झारखंड मुक्ति मोर्चा का किला माना जाता रहा है. यहां से झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने 8 बार जीत हासिल की है. हालांकि 2019 के चुनावों में उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट का इतिहास काफी दिलचस्प है. इस रिपोर्ट में जानिए 1957 से 2019 तक का इतिहास.

History of Dumka Lok Sabha seat
History of Dumka Lok Sabha seat

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 14, 2024, 7:38 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति में दुमका लोकसभा क्षेत्र का अलग महत्व है. दुमका झारखंड की उप राजधानी भी कही जाती है. हालांकि संयुक्त बिहार में भी दुमका काफी महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र रहा है. 1957 में पहली बार लोकसभा का चुनाव दुमका में हुआ था.

दुमका लोकसभा सीट पर 1957 के चुनाव का हाल

1957 में हुए लोकसभा चुनाव में दुमका से जनता पार्टी के सुरेश चंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की थी. इन्हें 25.6 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16.6 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

1962 चुनाव में कांग्रेस ने दर्ज की थी जीत

1962 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस सीट पर जीत मिली थी और सत्य चंद्र बेसरा यहां से चुनाव जीते. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 35.8 फीसदी जबकि झारखंड पार्टी को 35 फीसदी वोट मिले थे.

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1967 लोकसभा चुनाव का हाल

1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने फिर से यहां चुनाव जीती और सत्य चंद्र बेसरा को 37 फीसदी वोट मिले. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 29.6 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

1971 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने दर्ज की जीत

1971 के चुनाव में भी यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्य चरण बेसरा ने जीत दर्ज की. इस बार कांग्रेस पार्टी को 34.2 फ़ीसदी वोट मिले. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 28 फीसदी और भारतीय जनसंघ को 15.9 फीसदी वोट मिले थे.

1977 का लोकसभा चुनाव

1977 के लोकसभा चुनाव में दुमका से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. बटेश्वर हेम्ब्रम ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इन्हें कुल 48.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. हालांकि इस बार कांग्रेस पार्टी ने पृथ्वी चंद्र किसकू को चुनावी मैदान में उतारा था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 16.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

1980 का चुनाव

1980 के लोकसभा चुनाव में यहां से आधुनिक झारखंड के निर्माता शिबू सोरेन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. यहां इन्हें कुल 36.8 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 35 फीसदी वोट मिले.

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1984 के चुनाव में शिबू सोरेन को मिली हार

1984 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सीट पर कब्जा किया. उनके उम्मीदवार पृथ्वी चंद्र कुश को 52.4 फीसदी वोट मिले. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा से चुनाव लड़े शिबू सोरेन को 26.9 फीसदी वोट मिले.

1989 में शिबू सोरेन को मिली जीत

1989 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कब्जा किया और शिबू सोरेन यहां से विजयी हुए. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा को 59.4 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 33.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1991 का लोकसभा चुनाव

1991 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन फिर से इस सीट से विजयी हुए. उन्हें 57.5 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ. जबकि भारतीय जनता पार्टी के बाबूलाल मरांडी को 27.8 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे.

1996 का लोकसभा चुनाव

1996 के चुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा में इस सीट पर कब्जा जमाया. इस सीट पर शिबू सोरेन तीसरी बार विजयी हुए. इन्हें 31.3 फीसदी वोट मिले, जबकि भारतीय जनता पार्टी के बाबूलाल मरांडी को 30.3 फीसदी वोट मिले.

1998 में शिबू सोरेन को मिली हार

1998 में इस सीट पर परिवर्तन हुआ और भारतीय जनता पार्टी के बाबूलाल मरांडी इस सीट से विजयी हुए. भारतीय जनता पार्टी को 46.5 फीसदी वोट मिले थे, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 44 फीसदी वोट मिले थे. लगातार तीन बार सीट से विजयी रहे शिबू सोरेन को 1998 में बाबूलाल मरांडी से हार का सामना करना पड़ा था.

1999 में फिर जीते बाबूलाल मरांडी

1999 में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के बाबूलाल मरांडी जीते. इन्हें 36.3 फीसदी वोट मिले. जबकि इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा की रूपी सोरेन किसकू चुनाव लड़ी थीं. उन्हें 35.5 फ़ीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 34.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.

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बंटवारे के बाद शिबू सोरेन ने जीती सीट

झारखंड बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में चली गई और झारखंड मुक्ति मोर्चा से शिबू सोरेन यहां से विजयी हुए. 2004 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को दुमका सीट पर 54.3 फीसदी वोट मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सोनेलाल हेंब्रम को 35.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

2009 में फिर जीते शिबू सोरेन

2009 के लोकसभा चुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा इस सीट पर चुनाव जीती थी झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन 35.5 फीसदी मत के साथ विजयी रहे जबकि भारतीय जनता पार्टी के सुनील सोरेन को 30.5 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 10.4 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए.

मोदी लहर के बाद भी शिबू सोरेन ने बचाई अपनी सीट

2014 का चुनाव दुमका के लिए काफी अहम था. पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर थी लेकिन उसके बाद भी 2014 में दुमका लोकसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन ही विजयी हुए. शिबू सोरेन ने कुल 37.02 फीसदी मत प्राप्त किए, जबकि भारतीय जनता पार्टी के सुनील सोरेन को 32.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए. बाबूलाल मरांडी जो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हुआ करते थे, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर के झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया और पहली बार झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के बैनर तले दुमका से चुनाव लड़े और उन्हें कुल 17.5 फीसदी पोर्ट प्राप्त हुए.

2019 में झामुमो को मिली हार

2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का असर दुमका की सीट पर भी दिखा. और इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दुमका सीट पर जीत दर्ज की भारतीय जनता पार्टी को कुल 47.3 फीसदी वोट प्राप्त हुए. भारतीय जनता पार्टी के सुनील सोरेन इस सीट से विजयी हुए. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को 42.6 फ़ीसदी वोट मिले. दुमका सीट सोरेन परिवार के लिए काफी महत्वपूर्ण और आसान सीट भी मानी जाती है. हालांकि दुमका से कई बार झारखंड मुक्ति मोर्चा को झटका भी लगा है. 2024 के लिए एक बार फिर चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, तो ऐसे में देखना है इस बार दुमका चुनावी सेहरा किसके सिर बांधता है.

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