शिमला: पंजाब से आए सैलानियों ने पिछले साल कुल्लू जिले के मणिकर्ण में भारी उत्पात मचाया था. सैलानियों के हुड़दंग पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेकर राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए थे. हाईकोर्ट की सख्ती का असर हुआ है. राज्य सरकार ने अदालत में बताया कि धार्मिक नगरी मणिकर्ण में पर्यटकों के उपद्रव को रोकने के लिए कई व्यवस्थाएं लागू की गई हैं.
सुमा रोपा नाके पर की जा रही चेकिंग
अदालत को बताया गया कि पुलिस प्रशासन ने सुमा रोपा नामक स्थान पर एक चेक पोस्ट स्थापित की है. इस चेक पोस्ट पर सीसीटीवी के माध्यम से प्रत्येक गाड़ी का पंजीकरण ऑनलाइन किया जाता है. यदि पुलिस को किसी प्रकार का संदेह हो जाए तो गाड़ियों की वास्तविक चेकिंग की जाती है. हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि मणिकर्ण में पिछले साल की तरह हंगामा और उपद्रव न हो, इसके लिए नियमित रूप से नाके पर चेकिंग हो रही है. साथ ही मोबाइल वाहनों से पूरे इलाके में दिन-रात गश्त लगाकर कानून-व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखी जा रही है.
सरकार के वक्तव्य के बाद बंद हुई याचिका
मणिकर्ण में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ से अदालत में पेश किए गए वक्तव्य के बाद जनहित याचिका को बंद कर दिया गया. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अब इस मामले से जुड़ी जनहित याचिका को बंद करने का फैसला लिया. वक्तव्य में सरकार की ओर से अदालत को ये भी बताया गया कि पिछले वर्ष सैलानियों द्वारा किए गए उत्पात में कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 आरोपियों के खिलाफ सक्षम अदालत में चालान दाखिल कर दिया गया है. सभी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
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