नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों पर अवैध खनन एवं भंडारण के कारण लगाए गए करीब 50 करोड़ से अधिक का जुर्माना माफ करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से अगले मंगलवार से पहले जवाब देने को कहा है.
कोर्ट ने सचिव खनन और निदेशक खनन से यह बताने को कहा है कि किस नियमावली के तहत जिला अधिकारी ने स्टोन क्रशरों पर लगाई गई जुर्माने की राशि माफ की, उस नियामवली को प्रस्तुत करें. याचिकाकर्ता से कहा है कि पूर्व के आदेश के क्रम में कोर्ट को बताएं कि ऐसे कितने मामले हैं, जिसमें जिलाधिकारी ने जुर्माने की राशि माफ की है. कल बुधवार तक अपना जवाब प्रस्तुत करें. अब मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार को होगी. पूर्व के आदेश पर आज मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सचिव खनन व निदेशक खनन पेश हुए. कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या जिला अधिकारी किसी नियमावली के तहत अपने ही द्वारा लगाए गए जुर्माने की राशि माफ कर सकते हैं. कोर्ट को इस संबंध में अवगत कराएं.
मामले के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन व भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ से अधिक रुपया माफ कर दिया गया है. जिला अधिकारी ने उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिन पर करोड़ों रुपए का जुर्माना था और जिनका जुर्माना कम था उनका माफ नहीं किया गया. वहीं, जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव और सचिव खनन से की गई तो, इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई और कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है.