शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सराहन एजुकेशन ब्लॉक के एक प्राइमरी स्कूल में नन्हें छात्रों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने कम संख्या के स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया हुआ है. इसी फैसले के तहत सराहन ब्लॉक के निन्वी प्राइमरी स्कूल को गानवी प्राइमरी स्कूल में मर्ज किया गया था.
अभिभावकों का कहना था कि गानवी स्कूल का रास्ता लंबा है और घने जंगल से होकर गुजरता है. यहां जंगली जानवरों का भी डर है. ऐसे में निन्वी स्कूल को गानवी स्कूल में मर्ज न किया जाए. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर स्कूल मर्ज करने पर रोक लगा दी है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा है कि जब तक राज्य सरकार अदालत को इस बारे में आश्वस्त नहीं करती कि 10 साल की आयु से छोटे बच्चों को स्कूल पहुंचने में दिक्कत नहीं होगी, तब तक रोक जारी रहेगी. ये आदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जारी किए हैं.
हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका, उठाई ये मांग
दरअसल, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में शारदा देवी व अन्यों ने एक याचिका दाखिल की थी. याचिका में प्रार्थियों ने राज्य सरकार के 17 अगस्त को जारी उन आदेशों को चुनौती दी, जिनके तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला निन्वी को राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला गानवी में मर्ज करने के आदेश दिए थे. प्रार्थियों का कहना था कि निन्वी स्कूल से गानवी प्राइमरी स्कूल तक आने-जाने के लिए बच्चों को कम से कम 10 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा.
छोटे बच्चों को इस स्कूल तक जाने के लिए घने जंगल से होते हुए गुजरना पड़ेगा. मासूम बच्चों को खतरनाक पहाड़ी रास्तों से होते हुए स्कूल पहुंचना होगा और रास्ते में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहेगा. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के स्कूल मर्ज करने के फैसले पर रोक लगा दी. अदालत ने पाया कि शिक्षा विभाग को कई बार वास्तविक स्थिति से अवगत करवाने के आदेश दिए गए थे परंतु विभाग ऐसा नहीं कर पाया. कोर्ट को सौंपी हिदायतों में शिक्षा उपनिदेशक शिमला को मौके पर जाकर तथ्यों की वास्तविक जानकारी जुटाने को कहा गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.
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