चंडीगढ़: महेंद्रगढ़ स्कूल बस हादसे के बाद एक तरफ नियमों की अनदेखी करने वाली स्कूल बसों पर प्रशासन की कार्रवाई जारी है. दूसरी तरफ हरियाणा प्राइवेट स्कूल फेडरेशन इस कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है. इसी मामले से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा प्राइवेट स्कूल फेडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के साथ खास बातचीत की.
सवाल- कनीना में हुए बस हादसे पर आप क्या सोचते हैं ?
जवाब- देखिए इस बाद हादसे में हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती. कितना भी हम दुख व्यक्त करें, वो कम है. जिन परिवारों ने मासूम बच्चे खोए हैं. उनको हम कितनी भी सांत्वना दें, वो कम है. इस हादसे से हर आदमी दुखी है. उन मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत पर हम निशब्द हैं. जो इसके जिम्मेदार हैं. उन सभी को इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी. संगठन के तौर पर हमें ये सबक मिला है कि हमें और बेहतर तरीके से फर्ज निभाने चाहिए थे. स्कूलों को भी अपने हकों के अलावा इस तरह के मामलों में जागरूक रहना चाहिए. हमें अपनी जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए. कही ना कहीं हम भी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हुए हैं. आगे हम इस पर काम करेंगे, ताकि इस तरह के हादसे ना हो.
सवाल- जिस बस का एक्सीडेंट हुआ अभिभावकों ने उसकी जानकारी स्कूल की प्रिंसिपल को भी दी थी कि ड्राइवर शराब के नशे में है. इसके अलावा बस ओवर स्पीड चल रही थी. फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं था. इस से कहीं ना कहीं सिस्टम पर सवालिया निशान हैं?
जवाब- ये बात कहीं ना कहीं हमारी मोरल वैल्यू में कमी को दर्शाता है. अगर ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, तो हमें उसे मोरल वैल्यू के प्रति सजग करना चाहिए. उनकी रेगुलर वर्कशॉप लगनी चाहिए. जिससे वो इस बात के प्रति सजग रहे कि उसका क्या धर्म है कि मैं इतनी जिंदगियों को लेकर चल रहा हूं. उनका अल्कोहल टेस्ट भी होना चाहिए. जो हर छह महीने पर हो. डॉक्टर रिपोर्ट दें कि ड्राइवर कहीं एल्कोहोलिक नहीं है. ताकि उन पर एक पहली नजर यानी चेक बना रहे. जो स्कूल प्रशासन कर सकता है और अब इस हादसे के बाद बहुत सारी बातें सामने आ रही हैं. वो हम आगे निभाने की कोशिश करेंगे.
सवाल- क्या आप अब प्राइवेट स्कूलों को कोई गाइडलाइन यानी एसओपी जारी करेंगे, क्योंकि आप को अभिभावक फीस दे रहे हैं?
जवाब- बिल्कुल हम पहले इस दिशा में सोच रहे थे, लेकिन इस घटना ने हमें और जल्द इस पर काम करने के लिए और तेज कर दिया. हालांकि फीस का इससे कोई लेना नहीं, क्योंकि जब बच्चा हमारे पास आ गया और हम उसे पढ़ा रहे हैं, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी बनती है, फीस से उसको नहीं जोड़ा जाना चाहिए. हालांकि सरकार से हम अपने हक की बात जरूर करते हैं.
सवाल- अब आप लोगों को किस बात का एतराज है? क्या आप लोग जो सरकार एक्शन ले रही है उससे नाराज हैं? आपकी आपत्ति क्या है?
जवाब- हम कहते हैं कि बसों की चेकिंग हो, लेकिन बस की चेकिंग का मतलब ये नहीं कि कैसे भी कर लो, आप हमें रोडवेज की बस को चेक करने का मौका दीजिए. ये बात पक्का है कि 90% उनके नॉर्म पूरे नहीं होंगे, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की बसों को लेकर सवाल उठाया जाता है. क्योंकि नॉर्म्स के तहत बहुत सी चीजें होती हैं, चाहे शीशा काला हो चाहे नम्बर प्लेट का मामला हो, कितनी गलतियां होती हैं. जो निकली जा सकती हैं. जो नॉर्म्स के तहत पूरी नहीं होती. हम ये कहते हैं कि नॉर्म्स किसी के भी पूरे नहीं हो सकते, लेकिन किसी ने बड़ी गलती की है, तो फिर उसे तुरंत इंपाउंड कीजिए.
उन्होंने कहा कि अगर किसी स्कूल बस का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है. परमिट नहीं है. बस की कंडीशन बुरी है, तो ऐसे हालात में कड़ी करवाई होनी चाहिए, लेकिन इंस्पेक्शन करने वाले छोटी सी छोटी गलती में भी एक ही तराजू में सबको तोलने लग जाते हैं. हमारा उस पर ऐतराज है. बच्चे जब बस में जा रहे हो तो उसे वक्त वाहनों को न रोका जाए. अगर बस इंपाउंड होगी, तो बच्चे कहां जाएंगे. उनको परेशान नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें इस बात से ऐतराज है कि स्कूल हॉवर्स के बाद भी बसें उठाई जा रही हैं. जो भी काम हो वो बड़ी सहनशीलता के साथ हो. नियम और कानून के तहत हो.
सवाल- कई जगह पर स्कूल भी बंद है. क्या बंद की कॉल आपकी तरफ से दी गई है?
जवाब- जब आनन-फानन में इस तरीके से करवाई हुई, स्कूल से बसें उठा ली गई. दहशत का माहौल बनाया गया, उनको लगा कि कहीं ऐसा ना हो बसों को लेकर वो सड़क पर निकले और उनको अलग-अलग जगह पर रोक दिया जाए. बच्चे फिर घर कैसे पहुंचेंगे, क्योंकि बच्चों की सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है. हमें ये डर बना हुआ था कि कहीं छोटी सी छोटी गलती पर भी बस इंपाउंड ना कर दें. तो क्या हम तीस गाड़ियां बस के पीछे लेकर चलते. एक संशय का माहौल बन गया था. जिसकी वजह से बसें नहीं चलीं. हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि आप बसों की चेकिंग कीजिए, हम सारे नॉर्म भी पूरे करने को तैयार हैं, लेकिन तरीके से कानून के दायरे में.