नक्सल के नासूर पर गारंटी का मरहम, विकास की पटरी पर दौड़ेगा देश या टूटेगा भ्रम - Lok sabha Elections 2024
Lok sabha Elections 2024 छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद है. अब 4 जून को उनकी किस्मत का फैसला आ रहा है. छत्तीसगढ़ ने अपने विकास के लिए जिनको चुनने का मन बनाया है, उनकी किस्मत EVM में कैद है . वे लोग छत्तीसगढ़ की किस्मत को कैसे लिखेंगे छत्तीसगढ़ के विकास को क्या रंग देंगे यह चार जून के बाद पता चलेगा. लेकिन 4 जून के पहले जो रंग छत्तीसगढ़ ने दिखाया है, उसमें लोकतंत्र की जीत की एक बड़ी कहानी 2024 के लोकसभा चुनाव में तो जरुर लिख दी गई है. Guarantee of development won
छत्तीसगढ़ में विकास के भरोसे ने जीता चुनाव (ETV Bharat Chhattisgarh)
रायपुर :छत्तीसगढ़ में 2024 का लोकसभा चुनाव प्रदेश के मूल जड़ की परेशानी पर चढ़कर के लोकतंत्र के हिस्सेदारी के जीत के तौर पर भी देखा जाएगा.नक्सल के नासूर से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव और उसमें लोगों की भागीदारी किसी बड़ी जीत से कम नहीं है.2019 और 2024 के चुनावी मतदान प्रतिशत की बात करें तो 1.31 फीसदी ज्यादा मतदान 2024 में हुआ. मतलब साफ है कि लोकतंत्र में हिस्सेदारी के लिए लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. नक्सली पर जिस तरीके से सुरक्षा एजेंसियों ने नकेल लगा रखी थी, वो भी इस चुनाव को सफल बनाने में खास रहा है.
जमकर हुआ मतदान,नहीं हुई हिंसा : 2024 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में जमकर मतदान हुआ. लोकसभा की सभी 11 सीटों पर लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में अपनी मजबूत भूमिका और भागीदारी दिखाई . जिसका परिणाम था कि लोकसभा की सभी सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा. सीटों के अनुसार अगर मतदान प्रतिशत को देख लें तो छत्तीसगढ़ की सरगुजा सीट पर 79.89% मतदान हुए. रायगढ़ में 78.85 फीसदी मतदान हुआ. जांजगीर चांपा में 67.56 फीसदी जबकि कोरबा में 75.63 फीसदी मतदान हुआ. बिलासपुर में 64.7 फीसदी मतदान हुआ.जबकि राजनांदगांव में 77.43 फीसदी मतदान हुआ. दुर्ग में 73.68 फीसदी मतदान हुआ. रायपुर में 66.82 फीसदी मतदान हुआ. महासमुंद में 75.02 फीसदी बस्तर में 68.29 फीसदी और कांकेर में 76.23 फीसदी मतदान हुआ. छत्तीसगढ़ के कुल मतदान प्रतिशत की बात करें तो बढ़ोतरी चाहे जितनी हुई हो लेकिन विश्वास लोगों का लोकतंत्र में पढ़ा है.
नक्सलियों पर भारी पड़ी फोर्स : नक्सली पर्चा लगते थे, नक्सली मतदान में हिस्सा नहीं लेने का निर्देश भी देते थे.लेकिन इस बार जिस तरीके से नक्सलियों को लोकतंत्र के महापर्व को बाधित नहीं करने का निर्देश सुरक्षा एजेंसियों ने दिया था उसका साफ-साफ असर छत्तीसगढ़ के लोकतंत्र में दिखा है. नक्सलियों को उनकी माद से निकलकर के या तो जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया या डर के मारे उन लोगों ने खुद का सरेंडर किया है. यह 2024 के लोकतंत्र के महापर्व में छत्तीसगढ़ के लिए लिखा गया इतिहास का एक बड़ा पन्ना है जो अब खत्म होते नक्सली और मजबूत होते लोकतंत्र की कहानी को बताता है.
गारंटी का गुरूर : लोकसभा चुनाव की शुरुआत में ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी की तरफ से नक्सलियों के सफाई की गारंटी दी गई थी. छत्तीसगढ़ में ही गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में साफ कहा था कि केंद्र में सत्ता आने के बाद 2 साल के अंदर नक्सलियों का सफाया कर दिया जाएगा. लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से इसी गारंटी पर छत्तीसगढ़ के लोगों को गुरूर करने का अवसर मिला. वह भी लोकतंत्र के महापर्व में जीत का एक बड़ा कारण माना जा सकता है. पूरे लोकसभा चुनाव के दरमियान लगातार एनकाउंटर हुए और उस एनकाउंटर में 100 से ज्यादा नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया. छत्तीसगढ़ी ये मान लिए थे कि नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए सुरक्षा एजेंसियां उतर चुकी हैं. यह भी छत्तीसगढ़ के 2024 के लिए हुए लोकसभा चुनाव के बढ़े मतदान प्रतिशत की एक कड़ी कहीं जा सकती है. उससे बड़ी बात नक्सली के खिलाफ चलाए गए अभियान में गारंटी का गुरुर भी लोगों के भीतर अब दिखने लगा है.
विकास ही एकमात्र लक्ष्य,नक्सलियों का सफाया जरुरी : इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक समीक्षक दुर्गेश भटनागर ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की जनता ने निर्णायक लड़ाई के लिए मजबूत जनादेश दे दिया है अब आदेश सरकार को देना है कि नक्सलियों का सफाया हर हाल में कर दिया जाए. क्योंकि विकास के लिए यह आवश्यक है कि जो लोग नाराज हैं, वह भी विकास की मुख्य धारा से जुड़कर के विकास की बात करें. क्योंकि जिस धारा को पड़कर नक्सली चल रहे हैं, वह विकास की बात नहीं करता है.
छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर के एक बात तो बता दिया कि लोकतंत्र के मजबूत होने से ही विकास की मजबूत नींव किसी भी राज्य में आ सकती है.नक्सलियों के दर्द से कराह रहे छत्तीसगढ़ को नक्सलियों के सफाई का एक आसरा तो दिखा है. जो लोग 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत कर संसद में जाएंगे उन्हें भी आज ही संकल्प ले लेना होगा कि जिस क्षेत्र से भी जीत कर जा रहे हैं उसका विकास ही उनकी मूल सोच होगी. तभी छत्तीसगढ़ को विकासगढ़ बनाया जा सकता है. इसे बढ़ाने की कहानी छत्तीसगढ़ में लोगों ने लोकतंत्र के महापर्व में वोट की चोट से कर दिया है, अब बारी राजनेताओं की है, अब बारी जीत कर जाने वाले जनप्रतिनिधियों की है कि वह छत्तीसगढ़ को विकास गढ़ बना दें.