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हिमाचल के लिए चिंता की बात, सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन, निजी स्कूलों की तरफ पेरेंट्स का रुझान - HIMACHAL PRIMARY SCHOOLS ADMISSION

वर्ष 2024-25 में प्राइमरी स्कूलों में एडमिशन का ग्राफ गिरा है. 2003 से 2024-25 के सेशन तक इसमें 52 प्रतिशत गिरावट आई है.

सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन
सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन (कॉन्सेप्ट इमेज)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 6 hours ago

शिमला:कभी शिक्षा में देश के अव्वल राज्यों में शामिल रहे हिमाचल प्रदेश के लिए शिक्षा के मोर्चे पर चिंताएं कम नहीं हुई हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर कई बार कह चुके हैं हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा है. फिलहाल, एक नई चिंता ये सामने आई है कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों में एडमिशन कम हुई है.

मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी वर्ष 2024-25 में प्राइमरी स्कूलों में एडमिशन का ग्राफ गिरा है. इस सेशन में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 22, 146 बच्चों ने प्रवेश लिया. हैरानी की बात है कि राज्य में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 9,940 है. यानी औसत लगाएं तो दो से कुछ अधिक बच्चे आते हैं. हालांकि इस औसत का अधिक महत्व नहीं है, क्योंकि कई स्कूलों में 150 बच्चों ने भी प्रवेश लिया है. खैर, इससे भी बड़ी बात ये है कि निजी स्कूलों की तरफ पेरेंट्स का रुझान निरंतर बढ़ता जा रहा है. निजी स्कूलों में इस सेशन में 46,426 बच्चों ने एडमिशन ली. यानी निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों से दुगनी एनरोलमेंट हुई है.

आंकड़ों के आईने में चिंता के नंबर

प्राइमरी स्कूलों में 2024-25 में 22,146 बच्चों ने प्रवेश लिया. निजी स्कूलों में ये आंकड़ा 46,426 है. हिमाचल में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 9940 है. हिमाचल में 2457 प्राइमरी स्कूलों में 10 से कम बच्चों का प्रवेश हुआ है. हालांकि ये भी तथ्य है कि पहाड़ी राज्य होने के कारण गांवों की आबादी कम है और स्कूल दूर-दूर होते हैं. खैर, प्रदेश के कुल सरकारी प्राइमरी स्कूलों में से 61 स्कूलों में 150 बच्चों से अधिक एडमिशन हुई है.

वर्ष 2003 से 52 प्रतिशत गिरावट

हिमाचल के सरकारी स्कूलों में प्राइमरी सेक्टर को देखें तो एडमिशन का ग्राफ निरंतर गिर रहा है. सिर्फ प्राइमरी क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2003 से अब तक यानी वर्ष 2024-25 के सेशन तक इसमें 52 प्रतिशत गिरावट आई है. मौजूदा सेशन में तो गिरावट अधिक है. हालांकि इसके कई कारण हैं. सरकार ने छह साल में पहली कक्षा में एडमिशन का नियम तय किया है. ये भी एक कारण माना जा रहा है. इससे सरकारी प्राइमरी स्कूलों में एडमिशन में गिरावट आई है. शिक्षा विभाग के अनुसार सरकारी स्कूलों ने 60 हजार से अधिक बच्चों को प्री-प्राइमरी में एनरोल किया था, लेकिन पहली कक्षा की एडमिशन 22 हजार तक रह गई.

शिक्षा विभाग का मानना है कि छह साल की आयु में पहली कक्षा में प्रवेश इस गिरावट का बड़ा कारण है. लेकिन इस बात का भी जवाब तलाशना चाहिए कि निजी स्कूलों में एडमिशन क्यों बढ़ रही है? शिक्षा क्षेत्र से जुड़े रिटायर्ड अध्यापक नंदलाल गुप्ता मानते हैं कि, 'यदि छह साल की आयु वाला कारण मानें तो ये भी देखना होगा कि गिरावट एक दशक से हो रही है. ये तथ्य झुठलाया नहीं जा सकता कि निजी स्कूलों की तरफ अभिभावक रुझान लिए हुए हैं. सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी भी गिरावट का एक कारण है.'

पिछले सेशन में अच्छी थी एनरोलमेंट

हालांकि आंकड़े ये भी बताते हैं कि वर्ष 2023-24 के सेशन में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 49,295 बच्चे एनरोल हुए थे. तब निजी स्कूलों में प्राइमरी में 48, 132 बच्चों का प्रवेश हुआ था. यानी पिछले साल सरकारी सेक्टर में पोजीशन अच्छी थी. यानी सरकारी व निजी स्कूलों की एडमिशन देखें तो ये कुल आंकड़ा 97 हजार से अधिक था, लेकिन 2024-25 के सेशन में इस साल सरकारी स्कूलों में सिर्फ 32 प्रतिशत बच्चे पहुंचे, वहीं निजी स्कूलों में ये प्रतिशत 68 रहा है. कुल एडमिशन 68,572 है और यह पिछले साल से करीब 30,000 कम है. राज्य सरकार के शिक्षा सचिव राकेश कंवर का मानना है कि, 'सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है, लेकिन इसके पीछे कई कारण हैं. इन कारणों की पड़ताल की जा रही है.'

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