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मुजफ्फरपुर खुशी अपहरण केस में दादी व मां का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, CBI ने नोटिस देकर मांगी सहमति - Khushi Kidnapping Case - KHUSHI KIDNAPPING CASE

Muzaffarpur Khushi Kidnapping Case : केंद्रीय जांच एजेंसी ने अगवा खुशी केस में अब पिता के बाद मां और दादी का भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराएगी. इसके लिए नोटिस देकर सहमति मांगी है. हालांकि पिता ने परमिशन तो दे दी है लेकिन उन्होंने कहा कि इतने दिनों तक सीबीआई ने इस केस को लटकाकर क्यों रखा है. बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस केस को सीबीआई को सौंपा गया था. पढ़ें पूरी खबर-

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खुशी अपहरण केस (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 18, 2024, 11:27 AM IST

Updated : May 18, 2024, 2:54 PM IST

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के पमरिया टोला से तीन साल पहले गायब हुई पांच साल की खुशी के अपहरण कांड में सीबीआई अब बच्ची की दादी उमा देवी (46 वर्ष) और मां मेनका देवी (28 वर्ष) की पॉलीग्राफ जांच कराएगी. इससे पहले खुशी के पिता राजन साह का पॉलीग्राफ टेस्ट सीबीआई करा चुकी है. लंबे अंतराल के बाद सीबीआई के अधिकारी खुशी के परिजन से मिले. राजन के पिता ने बताया कि उनसे उमा देवी और मेनका के प्पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए नोटिस देकर सहमति मांगी गई है.

सीबीआई कराएगी दादी और मां का पॉलीग्राफ टेस्ट: खुशी के पिता राजन साह ने इसपर नाराजगी जाहिर की. कहा, आखिर जब मेरी जांच कराई थी उसके तुरंत बाद ही उमा देवी और मेनका की जांच क्यों नहीं कराई गई. इसके लिए कई माह तक समय क्यों खींचा गया? हालांकि परिवार ने मौखिक रूप से सीबीआई को पॉलीग्राफ जांच की प्रक्रिया से गुजरने की सहमति दे दी है.

खुशी का सुराग देने वाले को 5 लाख का इनाम: राजन साह की वकील पूजा पांडेय भी सीबीआई से इस संबंध में मिली है. अब सीबीआई मामले में कोर्ट की प्रक्रिया पूरी करेगी. हालांकि इसके लिए सीबीआई की ओर से कोर्ट में अभी अर्जी नहीं डाली गई है. राजन साह ने बताया कि सीबीआई के अधिकारी ने बीते सप्ताह पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर बात की थी. सीबीआई ने अपहृत खुशी का सुराग देने वाले को पांच लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है.

हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने लिया था केस : ब्रह्मपुरा के पमरिया टोला में सरस्वती पूजा पंडाल में 16 फरवरी, 2021 की शाम पांच वर्षीय खुशी कुमारी खेल रही थी. साढ़े सात बजे जब खुशी नहीं दिखी तो परिजनों ने तलाश शुरू की. काफी खेजबीन के बाद भी उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिला तो पिता राजन साह के आवेदन पर पुलिस ने अगले दिन अपहरण की धारा में एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस की शुरुआती जांच में ही खेल और लीपापोती से आहत राजन साह मामले को हाईकोर्ट ले गए. इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने केस अपने अधीन ले लिया.

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Last Updated : May 18, 2024, 2:54 PM IST

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