कोटा. राजस्थान में बीते 2 सालों से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है. इसके चलते गेहूं सरकारी सिस्टम में वितरण के लिए दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ रहा है. अब फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया और अन्य एजेंसी इस बार गेहूं की खरीद के लिए कमर कस चुकी है. उन्होंने अभियान छेड़ दिया है. इस बार भी भामाशाह कृषि उपज मंडी में गेहूं के भाव ज्यादा है. हालांकि, सरकार ने भी इस साल बोनस और एमएसपी में दाम बढ़ाकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल किया है. सरकार इस बार पूरा अभियान छेड़ कर गेहूं खरीद करने के पक्ष में है. इसके लिए कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए हैं. हालांकि, भामाशाह कृषि उपज मंडी के व्यापारियों का कहना है कि राजस्थान में समर्थन मूल्य पर खरीद कम हो पाएगी, क्योंकि मंडी के दाम इस बार भी ज्यादा रहने की आशंका है.
ऑटोमेटिक सिंक्रोनाइज होगी गिरदावरी :फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के राजस्थान महाप्रबंधक सौरभ चौरसिया के अनुसार इस बार रजिस्ट्रेशन को भी सरल बनाया गया है. इसमें गिरदावरी की मांग नहीं की गई है. किसान को जन आधार का नंबर देना होगा. साथ ही अपनी जमीन से संबंधित जानकारी देनी होगी, जिसके आधार पर ही रजिस्ट्रेशन का सिस्टम राजस्थान सरकार की गिरदावरी सिस्टम से रिपोर्ट को ऑटोमेटिक सिंक्रोनाइज कर लेगा. हमने इस बार रजिस्ट्रेशन भी 10 फरवरी को शुरू कर दिया, लेकिन गिरदावरी की रिपोर्ट अपडेट नहीं हुई है. इसलिए यह सिस्टम किया गया है. राज्य सरकार से भी हमने जल्द गिरदावरी के अपील कर दी है. इसके बाद अपने आप गिरदावरी किसान के रजिस्ट्रेशन से अटैच हो जाएगी.
नई फसल आने पर दाम होंगे कम : FCI के जीएम चौरसिया का कहना है कि राजस्थान में इस बार उम्मीद है कि बीते साल से ज्यादा 110 से 120 लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन होगा. राजस्थान में फूड कॉरपोरेशन आफ इंडिया (FCI), राजफैड, तिलक संघ, नैफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) गेहूं की खरीद करेगा. वर्तमान में बाजार भाव ज्यादा है, लेकिन जब नई फसल आएगी, तब कम हो जाएगा. एफसीआई गेहूं के दाम को कंट्रोल करने के लिए खुले मार्केट में भी माल बेच रही है. इससे बाजार भाव काफी स्थिर है. राज्य में न्यूनतम लक्ष्य 20 लाख मीट्रिक टन रखा गया है, जबकि कोटा संभाग में 5.40 मीट्रिक टन यहां पर लक्ष्य रखा गया है. इस बार कोटा संभाग में 13,700 किसानों के रजिस्ट्रेशन हो गए हैं, जबकि राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करीब 26,000 के आसपास हो गए हैं.
इसे भी पढ़ें :लहसुन के भाव पहुंचे आसमान पर, डिमांड बढ़ी लेकिन किसानों के पास खत्म हुआ स्टॉक
साल 2021 में हुई थी सर्वाधिक 23 लाख एमटी खरीद : जीएम चौरसिया के अनुसार राजस्थान में साल भर में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं का वितरण किया जाता है, लेकिन बीते 2 सालों से गेहूं की खरीद यहां पर नहीं हो रही है. ऐसे में नजदीकी राज्य हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश से गेहूं राजस्थान मंगवाया जा रहा है. अंतिम बार सर्वाधिक खरीद 2021 में 23 लाख में एमटी हुई थी. कोटा संभाग में 6 लाख एमटी से ज्यादा खरीद हुई थी, जबकि साल 2022 और 2023 में खरीद न के बराबर हुई है.
बीते साल केवल 4.4 लाख एमटी खरीद : सौरभ चौरसिया के अनुसार साल 2023-24 में 4.4 लाख एमटी खरीद हुई थी, जबकि कोटा संभाग में 33,200 मेट्रिक टन खरीद हुई थी. इसमें सर्वाधिक 4.1 लाख एमटी खरीद श्रीगंगानगर जिले में हुई थी. उस समय राजस्थान में 60,000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. इनमें से 32,000 किसानों ने अपना गेहूं सरकारी तोल कांटे पर बेचा था. कोटा में 9868 रजिस्ट्रेशन हुए थे, इनमें से 3883 किसानों ने अपना गेहूं बेचा था. यह 33,200 मेट्रिक टन था.