नई दिल्ली/नोएडा:15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी फर्जीवाड़े की जांच नोएडा सेक्टर-20 पुलिस ही करेगी. शासन ने जीएसटी फर्जीवाडे़ के तहत दर्ज तीन मुकदमों की आर्थिक अपराध शाखा मेरठ को जांच ट्रांसफर किए जाने वाले आदेश को शुक्रवार को निरस्त कर दिया. इसकी पुष्टि कमिश्नरेट के अधिकारियों ने की है. इस फर्जीवाड़े में 41 आरोपी अब तक सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. कमिश्नरेट पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते अभी तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हो सकी है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को कई हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश थाना सेक्टर-20 पुलिस ने बीते साल जून में किया था. सेक्टर-20 पुलिस ही मामले की जांच कर रही थी. इस प्रकरण के आरोपी दिल्ली के अरबपति कारोबारी संजय ढिगरा ने अपने प्रभाव के बल पर शासन में अधिकारियों को गुमराह कर जांच थाना सेक्टर-20 से ट्रांसफर कराकर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराने के आदेश 18 अप्रैल को करवा लिए थे.
इससे पहले जांच के आदेश नोएडा पहुंच पाते थाना सेक्टर-20 पुलिस व सीआरटी टीम ने संजय और उसके आरोपी परिवार की धरपकड़ शुरू की और उसे मई माह के शुरुआत में ही पत्नी व बेटे के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वहीं, जांच ट्रांसफर कराए जाने की भनक लगते ही इस प्रकरण का वादी भी इसको चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट इलाहाबाद पहुंच गया. तीनों की गिरफ्तारी के बाद नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने भी इस प्रकरण से शासन व पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया था. इसके बाद आरोपी के कहने पर जांच ट्रांसफर किए जाने की बात सामने आते ही शासन प्रशासन में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई.
सूत्रों के मुताबिक, अब शासन के गृह गोपन विभाग के अनु सचिव ने ईओडब्ल्यू के एडीजी को जांच ट्रांसफर संबधी 18 मई के आदेश का हवाला देते हुए उसे निरस्त किए जाने की जानकारी दी. जांच ट्रांसफर आदेश निरस्त होते ही कारोबारी संजय और उसके साथियों की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी है. नियमों को ताक पर रखकर जांच ट्रांसफर करने में सहयोग करने वाले अधिकारियों की मुश्किलें भी आने वाले दिनों में बढ़ सकती है.
ऐसे बिछाया गया था जाल: पानीपत के उद्योगपति फिर पंजाबी बाग के अरबपति परिवार पर नोएडा पुलिस की जांच टीम ने जैसे ही शिंकजा कसना शुरू किया, वैसे ही इन उद्योगपतियों ने अपने अपने स्तर से पहले जांच से नाम हटाने का प्रयास शुरू किया. कमिश्नरेट पुलिस के कई अधिकारियों से आरोपी कारोबारियों ने संपर्क करने का प्रयास किया, पर वह असफल रहे. कमिश्नरेट के अधिकारियों के सामने उनका रसूख न चल सका. इसके बाद संजय ढिंगरा ने लखनऊ में शासन सत्ता में बैठे अधिकारियों व राजनेताओं की शरण ली. संजय ढिगरा अपने व परिवार को बचाने के लिए लगा हुआ था.
शिंकजा कसता देख उसने दिल्ली के कुछ अधिकारियों व राजनेताओं के माध्यम से लखनऊ में शासन सत्ता में बैठे नेता व अधिकारियों को 15 हजार करोड़ की जांच थाना व जिला स्तर पर किए जाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए, उन्हें गुमराह किया. फिर जांच ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर होने की हरी झंडी मिलते ही दिल्ली लौट आया.
बदल रहा था ठिकाना:इसके बाद आरोपी कारोबारी और उसका परिवार दिल्ली और राजस्थान सहित अन्य स्थानों पर पुलिस की नजर से बचने के लिए रहने लगा. वह अलग-अलग लग्जरी गाड़ियों का इस दौरान इस्तेमाल करता रहा, ताकि पुलिस की नजर से बचा जा सके. कारोबारी संजय और उसके परिवार की जब पुलिस ने गिरफ्तारी की तो उसने गिरफ्तारी को गैर कानूनी बताते हुए जांच ईओडब्ल्यू ट्रांसफर कई दिन पहले ही हो जाने का हवाला दिया, लेकिन जांच आदेश नोएडा पुलिस के पास न होने के चलते पुलिस ने उसे जेल का रास्ता दिखा दिया. कई अन्य कारोबारी भी इस मामले में पुलिस के निशाने पर हैं.