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पिंजरापोल गौशाला में गोपाष्टमी महोत्सव, हिंगोनिया गौशाला में होगा 51 कुंडीय गौ यज्ञ - 51 कुंडीय गौ यज्ञ

गोपाष्टमी के मौके पर हिंगोनिया गौशाला में 51 कुंडीय गौ यज्ञ का आयोजन किया जाएगा.

गोपाष्टमी महोत्सव
गोपाष्टमी महोत्सव (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 9, 2024, 8:08 AM IST

जयपुर. कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गायों की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. ऐसे में गोपाष्टमी के अवसर पर राजधानी की पिंजरापोल गौशाला में राज्यपाल के सानिध्य में गौमाता का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन कर गाय पर आधारित मेले का आयोजन किया जाएगा. वहीं हिंगोनिया गौशाला में गोपाष्टमी पर 51 कुंडीय गौ यज्ञ का आयोजन होगा.

हिंदू धर्म में गाय को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है और 33 करोड़ देवी देवताओं का वास भी कहा जाता है. मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन से भगवान श्री कृष्णा और उनके भाई बलराम ने गोचरण की लीला शुरू की थी. यही वजह है कि यह पर्व मथुरा वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में ज्यादा प्रसिद्ध है. लेकिन छोटी काशी इससे से अछूती नहीं है. यहां गोपाष्टमी के अवसर पर जहां शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में ठाकुर जी को नटवर वेश धारण करते हुए विशेष झांकी सजाई जाएगी तो वहीं चांदी की गौ माता का वेद मंत्र चरण के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा.

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उधर, पिंजरापोल गौशाला में गौमाता के आशीर्वाद लेने के लिए खुद प्रदेश के पहले नागरिक राज्यपाल हरीभाऊ बागड़े और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर सहित कई गणमान्य लोग पहुंचेंगे. इस दौरान गौमाता का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाएगा. इसके बाद गोवर्धन भगवान का पूजन कर परिक्रमा की जाएगी. वहीं आयोजन को मेले से स्वरूप देते हुए गोमय उत्पादों की स्टॉल्स भी लगाई जाएगी और वैदिक वन औषधीय पार्क का भ्रमण भी कराया जाएगा. वहीं जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गोपाष्टमी पर 51 कुंडीय गौ यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. जिसमें गौ माता की सेवा का संकल्प लिया जाएगा. यहां समारोह में शहर के हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की महापौर भी मौजूद रहेंगी.

इसके साथ ही हिंगोनिया गौशाला में गोवर्धन पर्वत की सुंदर झांकी बनाई गई है. जिसमें भक्त भगवान श्रीकृष्ण की लीला का जीवंत दर्शन कर सकेंगे. महोत्सव की शुरुआत प्रभात फेरी से होगी, जिसमें भक्त भजन-कीर्तन के माध्यम से गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे. साथ ही गौमाता को हरा चारा और गुड़ खिलाकर सेवा करेंगे.

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