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अयोध्या में बड़े उत्साह से मनाई गई गीता जयंती, 2000 वैदिक विद्वानों ने किया गीता पाठ - GEETA JAYANTI IN AYODHYA

Geeta Jayanti in Ayodhya : अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयागराज सहित अन्य जिलों से संस्कृत वैदिक विद्यार्थी हुए शामिल.

वैदिक विद्वानों ने किया गीता पाठ
वैदिक विद्वानों ने किया गीता पाठ (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 11, 2024, 5:40 PM IST

अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के आश्रम मणिराम दास छावनी में बुधवार को गीता जयंती के पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. 2000 से ज्यादा वैदिक विद्वान, बटुक ब्राह्मण और संत धर्माचार्यों ने गीता का सस्वर पाठ किया और राम मंदिर की तरह श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी जल्द भव्यता लें, इसकी कामना की. इस दिन को अयोध्या के साधु संत शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं. इस आयोजन में अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयागराज सहित अन्य जिलों से संस्कृत वैदिक विद्यार्थी शामिल हुए.



मणि रामदास छावनी संस्कृत पाठशाला के प्राचार्य आनंद शास्त्री बताते हैं कि गीता जयंती पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म प्रधानता का उपदेश भी दिया था. इसी गीता जयंती पर विवादित ढांचे का विध्वंस हुआ था. प्रतिवर्ष यह उत्सव आयोजित किया जाता है. जिस मद अयोध्या और आसपास के जनपदों से संस्कृत के वैदिक वटुक और आचार्य यहां एकत्रित होते हैं. सभा लोग गीता का पाठ किया जाता है. इस पाठ का प्रभाव श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भी हो और वहां पर भी भगवान श्री राम के भव्य मंदिर की तरह जल्द उत्सव मनाया जाए.



विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि प्रत्येक वर्ष राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की सानिध्य में यह कार्यक्रम हो रहा है. 2000 से अधिक गीता मनीषी यहां पर एकत्रित होते हैं. यह गीता हमें कर्म की शिक्षा देती है और समाज में अपने आचरण को रखने की शिक्षा भी देती है. इसके साथ ही उन विषयों को भी केंद्रित करती है जो समाज के विरुद्ध हैं, इसलिए गीता जयंती हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को भी गीता जयंती ही पड़ी थी, जिस दिन विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ था. आज भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है.

उन्होंने कहा कि आज हमारा यही संदेश है कि समाज कर्म की शिक्षा ले. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान मथुरा है और अब स्वाभाविक है कि मथुरा की भी मुक्ति होनी चाहिए. हम सभी संविधान को मानते हैं और संविधान दायरे में होकर कार्य संपन्न हो रहा है तो उसका सभी को पालन करना चाहिए.

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