करनाल:हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. हिंदू वर्ष जेष्ठ महीने में हिंदू के कई प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं. जिनमें से एक गंगा दशहरा आता है. जिसको हिंदू धर्म के लोग काफी श्रद्धा से मनाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली दशमी गांगा दशहरा मनाया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन माता गंगा पृथ्वी पर अवतरण हुई थी. जिसके चलते इस दिन विधिवत रूप से मां गंगा की पूजा अर्चना की जाती है और उसमें स्नान करने के बाद दान करने का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. जानिए गंगा दशहरा के पूजा का विधि-विधान और शुभ मुहूर्त क्या है.
शुभ मुहूर्त गंगा दशहरा पूजन:पंडित राकेश गोस्वामी ने बताया कि ज्येष्ठ महीने में हिंदुओं के लिए गंगा दशहरा का त्यौहार सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा दशहरा जेष्ट महीने में 16 जून को मनाया जा रहा है. पंडित ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा में स्नान करने का सबसे ज्यादा महत्व होता है. लेकिन अगर शुभ मुहूर्त के समय स्नान करने उपरांत पूजा पाठ की जाए तो उसका ज्यादा फल प्राप्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा दशहरा की शुरुआत 16 जून की रात 2:31 से हो रही है. जबकि इसका समापन 17 जून को सुबह 4:42 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार का उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए 16 जून के दिन गंगा दशहरा के अवसर पर सुबह 7:08 से सुबह 10:37 तक गंगा स्नान करने उपरांत पूजा करने का शुभ मुहूर्त है.
पूजा का विधि-विधान:पंडित ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर शुभ मुहूर्त के समय गंगा नदी में स्नान करें. अगर कोई गंगा नदी में स्नान नहीं कर पता तो वह घर में ही गंगाजल डालकर पानी में स्नान करें. माता गंगा की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ महादेव की भी पूजा अर्चना करें. उसके उपरांत वह एक तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें अक्षत फूल और गंगाजल डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें और माता गंगा की आरती करें. उसके मंत्रों का जाप करें. उसके बाद माता गंगा की पूजा अर्चना करें और दीपदान करें.