राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

गाय के गोबर से निर्मित गणपति की होगी पूजा, तैयार किए 3 हजार गणेशजी, विसर्जन के बाद ऐसे रहेंगे साथ - Eco friendly Ganesh ji

भरतपुर की सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च ग्रुप स्वर्ग संस्था ने इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर ऐसे गणेश जी तैयार किए हैं, जो पूरी तरह से ईको फ्रेंडली भी हैं और विसर्जन के बाद घर के गार्डन में पौधे के रूप में लहलहाते भी रहेंगे.

ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्ती
ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्ती (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2024, 6:32 AM IST

गोबर से निर्मित गणेश जी की मूर्ति (ETV Bharat Bharatpur)

भरतपुर : पूरा देश गणेश चतुर्थी की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसी के तहत भरतपुर में ऐसे गणेशजी तैयार किए जा रहे हैं, जिनका ना केवल घर के गार्डन और गमले में विसर्जन कर सकेंगे, बल्कि विसर्जन के बाद गणेशजी एक पौधे के रूप में भी लहलहाते रहेंगे. भरतपुर की एक संस्था गाय के गोबर से विभिन्न आकार के गणेशजी का निर्माण कर रही है. गाय के गोबर से निर्मित होने की वजह से सबसे ज्यादा पवित्र भी है. भरतपुर में निर्मित इन गणेश जी की जिले के अलावा आसपास के जिले और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी खासी डिमांड है. आइए जानते हैं क्या खास है इन गाय के गोबर से निर्मित गणेश जी में.

सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च ग्रुप स्वर्ग संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि संस्था की महिलाओं ने इस बार गाय के गोबर से करीब तीन हजार गणेशजी का निर्माण किया है. ये गणेश जी 3 इंच से 12 इंच तक के अलग-अलग आकार के तैयार किए गए हैं. इनकी कीमत 51 रुपए से 551 रुपए तक रखी गई है.

इसे भी पढ़ें-राजस्थान के इस शहर की इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की विदेशों में डिमांड, चिकनी मिट्टी से तैयार होती है प्रतिमा - Eco Friendly Ganeshji

प्रदूषण नहीं फैलाती ये मूर्तियां : प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि गाय के गोबर में मुल्तानी मिट्टी को मिक्स कर अलग-अलग आकार के सांचे से गणेश जी तैयार किए गए हैं. जब मूर्ति सूख जाती है, तो उसमें अलग-अलग तरह के रंग भरकर उसे सजाया जाता है. खास बात यह है कि गणेश जी की मूर्तियों में तुलसी और अश्वगंधा के बीज भी मिलाए जाते हैं. बलवीर सिंह ने बताया कि गाय के गोबर से निर्मित ये गणेश जी की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली होती हैं. इन प्रतिमाओं का पूजन के बाद घर के गार्डन या गमले में ही विसर्जन किया जा सकता है. इन प्रतिमाओं को जलाशय में विसर्जित करने के आवश्यकता नहीं है. ये प्रतिमाएं विसर्जन के बाद भी वातावरण में प्रदूषण नहीं फैलाती हैं. इन प्रतिमाओं में मौजूद अश्वगंधा और तुलसी के बीज विसर्जन के बाद पौधे का रूप ले लेते हैं.

बलवीर सिंह ने बताया कि इस बार करीब तीन हजार गणेश प्रतिमा तैयार की गई हैं, जिनमें से सिर्फ 150 प्रतिमा बची हैं. अब तक ये प्रतिमा भरतपुर जिले के अलावा धौलपुर, डीग, कोटा, सवाई माधोपुर और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भेजी जा चुकी हैं. प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि लोगों से अपील है कि पीओपी आदि से निर्मित गणेश प्रतिमा के बजाय गाय के गोबर से निर्मित प्रतिमाओं का पूजन और विसर्जन करें, ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके

आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं :बलवीर सिंह ने बताया कि हम संस्था के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षित कर हर त्योहार पर गाय के गोबर से अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करते हैं. रक्षाबंधन पर गाय के गोबर से राखी तैयार की गई, अब गणेश प्रतिमा तैयार की गई हैं. साथ ही दीपावली के अवसर पर महिलाएं गाय के गोबर से बड़े पैमाने पर दीपक, लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा, पूजा की थाली और धूप बत्ती तैयार करेंगी. इन प्रोडक्ट की बिक्री से महिलाओं को अच्छी आय हो जाती है और वो आत्मनिर्भर बनती हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details