लखनऊ :देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर हर कोई उनके साथ बिताये गए लम्हो को याद कर रहा है. इन्ही में से एक हैं यूपी के मंत्री और पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण, जिन्होंने रतन टाटा के साथ कुछ समय बिताया था. जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है. बता दें कि असीम अरुण अपनी पुलिस सेवा के दौरान कई अहम पदों पर रहे हैं. यूपी कैडर के आईपीएस रहे असीम अरुण एसपीजी में तैनाती के दौरान प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी रह चुके हैं. इसके अलावा एटीएस चीफ, पुलिस कमिशनर के साथ ही अन्य कई पदों पर रहे है. असीम अरुण ने रतन टाटा के निधन के बाद सोशल मीडिया में उनके साथ बिताये कुछ पलों के विषय में लिखा है.
होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं सामान्य रूम में रुके थे टाटा
असीम अरुण X पोस्ट पर लिखा कि वर्ष 2007 या 2008 को जब वो एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में थे. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है. इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया, जिसमें रतन टाटा को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. एसपीजी में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी मुझे मिली. निश्चित समय पर मैं रतन टाटा को एस्कार्ट करने के लिए नई दिल्ली के ताज मान सिंह होटल पहुंच गया. मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं. प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में. उनको ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया और यहां शुरु हुआ मेरे जीवन का एक सुंदर पन्ना.
50 साल पुरानी मर्सिडीज में अपने साथ बैठाया
पूर्व आईपीएस असीम लिखते है कि, रतन टाटा ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया. करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर के साथच लते थे वे. मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है, तो सहजता से बोले मुझे भला किससे ख़तरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं, महसूस हुई.