जयपुर : भजनलाल मंत्रिमंडल के नए जिलों को रद्द करने के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए हैं. गहलोत ने कहा कि "भजनलाल सरकार ने यह फैसला लेने में एक साल लगा दिया, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस काम को लेकर उनके मन में कितना कंफ्यूजन था. हमनें तीन संभाग बनाए थे, तो वह सोच-समझकर बनाए थे. गहलोत बोले कि मैं नहीं जानता कि यह फैसला क्या सोच-समझकर लिया गया है." उन्होंने कहा कि नए जिलों को रद्द करने में भजनलाल सरकार की तरफ से जो दूरी का तर्क दिया जा रहा है, वह आश्चर्यजनक है, क्योंकि डीग की भरतपुर से दूरी केवल 38 किमी है, जिसे रखा गया है, लेकिन सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी और अनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद उन जिलों को रद्द कर दिया गया.
अमराराम बोले शेखावाटी के साथ हुआ अन्याय :सीपीएम के सीकर से सांसद अमराराम भी नए जिलों को लेकर सरकार के फैसले से नाखुश नजर आए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जहां-जहां जनता ने भाजपा को चुनाव में हराया है, वहां भाजपा जिले और संभागों को तोड़ रही है. सीकर और नीम का थाना की जनता ने भाजपा को हराया है, इसलिए भाजपा की सरकार ने बदले की भावना से इन जिलों को समाप्त किया है. अमराराम बोले कि इस जन विरोधी निर्णय के खिलाफ व्यापक आंदोलन कर सरकार को अपना जन विरोधी निर्णय वापस लेने के लिए बाध्य करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी विकास तो नहीं कर सकती, लेकिन किए हुए विकास का विनाश करने का काम करती है. शेखावाटी के साथ जो सौतेला व्यवहार हुआ है, इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा.
नए जिलों को लेकर समझिए राजनीतिक जोड़-तोड़ :नए जिलों को लेकर राजनीतिक दखलअंदाजी का भी तर्क दिया जा रहा है, लेकिन आपको बता दें कि जिन जिलों को रद्द किया गया है, उनमें जयपुर में शामिल होने वाले दूदू से उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा विधायक हैं. इसी तरह से अजमेर में शामिल होने वाले केकड़ी से भाजपा के शत्रुघ्न गौतम विधायक हैं, जबकि भीलवाड़ा में शामिल होने वाले शाहपुरा से लालाराम बैरवा विधायक हैं. सीकर में शामिल होने वाली नीम का थाना में कांग्रेस के विधायक सुरेश मोदी हैं, तो सवाई माधोपुर में शामिल होने वाले गंगापुर सिटी से रामकेश मीणा कांग्रेस के विधायक हैं. इसके अलावा अनूपगढ़ से भी कांग्रेस के विधायक शिमला बावरी हैं. इसके अलावा जालौर में शामिल होने वाले सांचौर से निर्दलीय जीवाराम चौधरी विधानसभा पहुंचे हैं, जबकि जोधपुर ग्रामीण और जयपुर ग्रामीण में भाजपा-कांग्रेस के विधायकों की संख्या लगभग बराबर है.