दौसा.जिले के मेहंदीपुर बालाजी थाना क्षेत्र में 2 अप्रैल को हुए अग्निकांड मामले को लेकर रविवार रात को ग्रामीणों के समर्थन में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना की अध्यक्षता में नांदरी गांव में एक महापंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें आसपास क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीण शामिल हुए. इस दौरान कृषि मंत्री ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि महिला की हत्या के आरोपियों के घरों को जलाने वाले ग्रामीणों का मैं बाल भी बांका नहीं होने दूंगा. चाहे इसके लिए मुझे खुद बलिदान देना पड़े. अगर आवश्यकता हुई तो एसपी और आईजी क्या मुख्यमंत्री को भी गांव में बुला दूंगा. इस दौरान कृषि मंत्री ने स्थानीय पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए और ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि मामले में जो भी पुलिसकर्मी दोषी होंगे, उनका इलाज आचार संहिता के बाद कर दिया जाएगा.
वहीं महापंचायत के बाद कृषि मंत्री ने एडिशनल एसपी दिनेश अग्रवाल को गांव में बुलाकर ग्रामीणों के साथ उनसे वार्ता की. प्रशासन से वार्ता के बाद कृषि मंत्री ने गांव में रात गुजारी. बता दें कि 29 अप्रैल को एक आरोपी ने थाना क्षेत्र की महिला के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी. इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपी युवक सहित उसके परिवारजनों के 4 घरों को आग के हवाले कर दिया था.
विपक्ष में होता तो पुलिस को बताता : इस मामले में ग्रामीणों ने पुलिस पर निर्दोष लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जबरन मामले में फंसाने का आरोप लगाया था. ऐसे में महापंचायत में पहुंचे कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने महापंचायत में कहा- अगर समय रहते पुलिस सचेत हो जाती तो इस घटना को रोक सकती थी. घटना के बाद ग्रामीणों ने हत्या के आरोपी युवक को पुलिस के हवाले कर दिया था. वरना पुलिस तो अब तक आरोपी को ढूंढ भी नहीं पाती. साथ ही ग्रामीणों को समझाते हुए उन्होंने कहा- आरोपी को सजा देना आमजनता का काम नहीं है. अपराधी को सजा दिलाना पुलिस और प्रशासन का काम है. इसलिए कोई भी कानून को अपने हाथ में ना लें, लेकिन इस मामले में जिन पुलिसकर्मियों ने कुछ भी गड़बड़ की है, आचार संहिता खत्म होने के बाद उनका इलाज करने की जिम्मेदारी मेरी है. इस दौरान उन्होंने कहा- अगर मैं विपक्ष में होता तो पुलिस को बताता कि रात के समय गांव में घुसकर ग्रामीणों को परेशान करने का नतीजा क्या होता है, लेकिन सत्ता में होने की वजह से मेरी कुछ सीमाएं है.