नई दिल्लीः दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. लोग इन नई इलेक्ट्रिक बसों में सफर करना पसंद कर रहे हैं. लेकिन इलेक्ट्रिक बसों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. अभी इन बसों को बनाने वाली कंपनियां ही संचालन और देखरेख कर रही हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई टेंपरेचर से इलेक्ट्रिक बसों में आग लग रही है. यह हाई टेंपरेचर ओवर लोडिंग, शार्ट सर्किट या इंसुलेटर में पानी घुसने की वजह से शार्ट सर्किट आदि से हो सकता है. जिस तरह दिल्ली का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है. इससे भी आने वाले दिनों में समस्या होगी.
दिल्ली में वर्तमान में कुल 1970 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है. सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक वर्ष 2025 तक दिल्ली की सड़कों पर कुल बसों के बेड़े में 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. इन बसों की संख्या 8000 होगी. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक इन इलेक्ट्रिक बसों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी इन्हें बनाने वाली कंपनियों की है. उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों में आग लगने के मामले में रखरखाव में लापरवाही की भी आशंका व्यक्त की है.
- दिल्ली में वर्तमान में 1970 इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली की सड़कों पर चलाई जा रही हैं
- 2025 के अंत तक दिल्ली में 8000 इलेक्ट्रिक बसें चलाए जाने का लक्ष्य रखा है.
- जेबीएम और टाटा कंपनी इलेक्ट्रिक बसें बना रही हैं और संचालन भी करा रही हैं
- आने वाले सालों में गर्मी बढ़ने से इलेक्ट्रिक बसों में शार्ट सर्किट की समस्या बढ़ेगी
- चूहे के तार काटने के कारण 19 मई को ई-बस में शार्ट सर्किट में लग गई थी आग
हाई टेंपरेचर से लग रही बसों में आग
दिल्ली के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर व ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट अनिल छिकारा ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों में आग लगने का प्रमुख कारण हाई टेंपरेचर है. यह टेंपरेचर ओवरलोडिंग के कारण भी हो सकता है. इंसुलेटर में पानी घुसने से शार्ट सर्किट या अन्य कारणों से शार्ट सर्किट से हाई टेंपरेचर हो सकता है. इलेक्ट्रिक बसों में एसी के लिए अलग और बस चलाने के लिए अलग अलग बैटरी हैं. कंप्यूटराइज्ड तरीके से बैटरी का मैनेजमेंट किया जाता है. जिस तरीके से 50 डिग्री सेल्सियस तक दिल्ली का टेंपरेचर पहुंच रहा और और बसें भी हीट बनाती हैं. ऐसे में ये हाई टेंपरेचर इन बसों के लिए खतरा है. जैसे जैसे बसें पुरानी होंगी. वायरिंग में दिक्कत की समस्या आएगी. शार्ट सर्किट की समस्या बढ़ेगी. जो एक खतरा है. ऐसे में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को इन बसों के बेहतर संचालन और मेंटेनेंस के लिए निर्माता कंपनियों से लाइफटाइम के लिए मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट रखना अति आवश्यक है.